बदलते रंग

राजीव डोगरा

बदलते हुए रंगों के साथ
बदलते हुए
अपने लोग देखे हैं।

चेहरे पर नकाब ओढ़े
सीने पर वार करते
अपने ही लोग देखे हैं।

हरे रंगों जैसी
अब लोगों के दिलों में
हरियाली कहाँ ?

अपने ही लोग
खंजर फेर
ह्रदय तल को
बंजर करते देखे हैं।

रंगों की बौछार
फैली है हर जगह
फिर भी
गिरगिट की तरह
रंग बदलते
अपने रिश्तेदार देखे हैं।

करते होंगे मोहब्बत वो
शायद किसी और से,
हमने अपने लिए तो
उनके चेहरे पर
नफ़रत के बदलते
नए-नए रंग देखे हैं।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

डॉ. राजीव डोगरा

लेखक एवं कवि, (भाषा अध्यापक) गवर्नमेंट हाई स्कूल ठाकुरद्वारा

Address »
गांव जनयानकड़, कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) | मो : 9876777233

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights