अपना आत्म बल बढाओ और सदा खुश रहो

सुनील कुमार माथुर
कवि एवं लेखक, देवभूमि समाचार
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड (जोधपुर)
कहते है कि कथा स्थल कोई मामूली सी जगह नहीं है अपितु वह तो परमात्मा की गोद है। वहां तो चित को परमात्मा में ही लगाना चाहिए।
दीपक जलकर न केवल प्रकाश ही करता है अपितु वह हमें सही मार्ग भी दिखाता है फिर तो हम इंसान है । हमारे पास दिमाग है । विवेक है । सोचने समझने की शक्ति है। सही क्या है और गलत क्या है इसकी पहचान करने की भी हमारे पास शक्ति है फिर हम क्यों दूसरों की सहायता करने से कतराते है । हमें नियमित रूप से पूजा पाठ , भजन-कीर्तन, चिन्तन मनन करते रहना चाहिए । प्रभु के नाम का स्मरण करने से मन को अपार शान्ति मिलती है व चेहरे पर मुस्कान आती है । दिन आनन्द से व्यतीत होता है । सर्वत्र शांति ही शांति नजर आती है । अशुभ फलों से मुक्ति मिलती है । सदैव अच्छा सोचें । सकारात्मक सोच रखें ।
जीवन ऐसा जियें की आपको भी आनंद आयें और दूसरे भी आनन्दित रहे । कोई भी कार्य छोटा नहीं होता है । जब भी कोई कार्य करें तो उसे पूरी निष्ठा व लग्न के साथ करें सफलता अवश्य ही मिलेगी । आप कमजोर न बनें । अपना आत्म बल बढाओ । आज देश में हर कोई अपना अलग झंडा लेकर चल रहा हैं जो उचित नहीं है । जब आपकी सोच सकारात्मक होगी तभी मन में दया, करूणा, ममता, वात्सल्य, भाईचारे, विश्व बंधुत्व का भाव जागृत होंगे ।
हमारे भीतर जो ज्ञान है जब हम उसे बांटेंगे तभी तो हमारा ज्ञान और बढेगा । धन दौलत का बंटवारा हो सकता है लेकिन हमारे ध्दारा किये गये अच्छे बुरे कर्मो का कभी भी बंटवारा नहीं होता है वे तो कर्म हमें ही भुगतने पडते हैं तो फिर बुरे कर्म क्यों करें । हमेशा अच्छे कर्म करें । गायों को चारा डाले जरूरतमंद, पीडित, दुखीजन की सेवा करें ।
वृध्दजनो, वृध्द माता पिता की सेवा कीजिए । यह सेवा सबसे बडी सेवा है । अगर आप ने यह सेवा कर ली तो फिर किसी चार धाम जाने की जरूरत नहीं है । कहा भी जाता है कि करो सेवा खाओ मेवा हमें यह मानव जीवन यूं ही नहीं मिला है । हमने पिछले जन्म में जो अच्छे कर्म किये हैं उसका ही यह परिणाम है तो फिर इस जन्म में अच्छे कर्म करके क्यों न अगले जन्म को भी सुधार ले ।
कहते है कि कथा स्थल कोई मामूली सी जगह नहीं है अपितु वह तो परमात्मा की गोद है । वहां तो चित को परमात्मा में ही लगाना चाहिए। संत महात्मा कहते है कि संत चौकी पर बैठता है इसलिए वह चौकीदार कहलाता है और आम जनता जमीन पर बैठती है इसलिए वह जमींदार कहलाती है । बच्चों को सदैव अच्छे संस्कार दे व उन्हे धार्मिक बनायें तभी बच्चे संस्कारवान्, चरित्रवान, राष्ट्र के आदर्श नागरिक बन पायेंगे और नये भारत का नव निर्माण हो सकेगा ।
जन्म और मृत्यु हमारे हाथ की बात नहीं है लेकिन जन्म और मृत्यु के बीच का समय तो हमारे हाथ की बात है तब क्यों न हंसते मजाक करते और प्रभु के नाम का स्मरण करते हुए खुशहाल जीवन जीये और दूसरों को भी हम कैसे अधिक से अधिक खुश रख सकते हैं इस बात का प्रयास करें इस शरीर रूपी घङे का क्या भरोसा कब फूट जायें । परमात्मा का स्मरण करने से हमारी कोई धन दौलत खर्च थोड़ी ही होती हैं अपितु हमें उल्टे परमात्मा का नाम लेना से पुण्य की प्राप्ति ही होती हैं तब परमात्मा के नाम का स्मरण करने में कंजूसी क्यों करें ।
इतना ही नहीं हमारी पाठ्य पुस्तकों मे आदर्श संत महात्माओ , स्वतंत्रता सेनानियों , वीरागंनाओ, महापुरुषों की जीवनियों को शामिल करना चाहिए ताकि युवा पीढ़ी इनके जीवन से प्रेरणा ले सके । वही सद् साहित्य को भी पाठ्यपुस्तकों में शामिल करना चाहिए । सद् साहित्य हमारे सच्चे मित्र है जो हमारे अकेलेपन को दूर करता है । आदर्श जीवन शैली का यही सार है।
Nice Article
Nice article
Nice
Nice
Nice
Nice article
True
Nice
Nice Article
Nice article
Very nice article
Nice article