समाज को संबर्धन है कला

समाज को संबर्धन है कला… कलाकारों को सम्मानित करने और उनकी कला का जश्न मनाने के लिए प्रतिवर्ष 25 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय कलाकार दिवस व इंटरनेशनल आर्टिस्ट डे मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय कलाकार दिवस की स्थापना जॉन टर्नर ने 25 अक्तूबर 2004 में की थी। जॉन टर्नर कलाकार और कलाकारों के संरक्षक थे।
मुजफ्फरपुर (बिहार)। अंतरराष्ट्रीय कलाकार दिवस व अंतराष्ट्रीय कला दिवस के अवसर पर स्वंर्णिम कला केंद्र द्वारा आयोजित केंद्र कक्ष में कलाकार और समाज का अवदान विचार गोष्टी में साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने कहा की विश्व के प्रत्येक क्षेत्र में कला और कलाकारों का महत्त्व है। व्यक्ति की भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम से समाज की सोच, संस्कृति और विचारों का प्रतिबिंब होती है। कलाकार अपने कार्यों के माध्यम से समाज में बदलाव, सृजन और अपनी सृजनात्मकता के द्वारा विश्व को नई दृष्टि से देखने के लिए प्रेरित करते हैं।
कलाकारों को सम्मानित करने और उनकी कला का जश्न मनाने के लिए प्रतिवर्ष 25 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय कलाकार दिवस व इंटरनेशनल आर्टिस्ट डे मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय कलाकार दिवस की स्थापना जॉन टर्नर ने 25 अक्तूबर 2004 में की थी। जॉन टर्नर कलाकार और कलाकारों के संरक्षक थे। जॉन टर्नर ने कला और कलाकारों के महत्व का अहसास चित्रकार, मूर्तिकार संगीतकार, लेखक और रचनात्मक कला से जुड़े रहने वालों को समर्पित किया कलाकार दिवस है।विश्व प्रसिद्ध चित्रकार पाब्लो पिकासो का जन्मदिन है। पिकासो 20वीं सदी के सबसे प्रभावशाली और क्रांतिकारी कलाकार थे। उन्होंने कला की परंपरागत सीमाओं को तोड़ा और नई शैलियों को जन्म दिया।
उनकी कला को श्रद्धांजलि देते हुए और योगदान को मान्यता देते हुए 25 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय कलाकार दिवस मनाया जाता है।अंतर्राष्ट्रीय कलाकार दिवस का उद्देश्य कलाकारों के महत्व और योगदान को पहचानना और कला को समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाना है। कल बिना शब्दों के दिलों को छू सकती और लोगों के विचारों को बदल सकती है। सौंदर्य और मनोरंजन के लिए नहीं होती, बल्कि यह समाज के विकास, विचारशीलता और परिवर्तन का महत्वपूर्ण साधन है। अंतर्राष्ट्रीय कलाकार दिवस पर, प्रसिद्ध साहित्यकार और इतिहासकार सत्येंद्र कुमार पाठक ने कला और कलाकारों के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि कला व्यक्ति की भावनाओं को व्यक्त करने का एक माध्यम है और यह समाज की सोच, संस्कृति और विचारों का प्रतिबिंब होती है। कलाकार अपने कार्यों के माध्यम से समाज में बदलाव लाते हैं और अपनी सृजनात्मकता से विश्व को नई दृष्टि से देखने के लिए प्रेरित करते हैं। पाठक ने कहा, “कलाकार दिवस हमें कलाकारों के योगदान को याद दिलाता है और हमें कला को समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए प्रेरित करता है। कला केवल सौंदर्य और मनोरंजन के लिए नहीं होती, बल्कि यह समाज के विकास, विचारशीलता और परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण साधन है।”
उन्होंने आगे कहा कि कलाकारों की भूमिका हमारे इतिहास और संस्कृति को जीवंत रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण है। पाठक ने कला और मानसिक स्वास्थ्य के बीच के संबंध पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कला आत्म-अभिव्यक्ति का एक तरीका है, जो तनाव, अवसाद और अन्य मानसिक चुनौतियों से निपटने में मदद करता है। स्थानीय कलाकारों का समर्थन करें: अपने आसपास के कलाकारों की कला को सराहें और उन्हें प्रोत्साहित करें।
कलाकार बनें: अगर आप खुद भी कला के किसी रूप में रुचि रखते है। अवधदूत डिस्ट्रिक्ट व्यूरो चीफ लेखिका डॉ. उषाकिरण श्रीवास्तव ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय कलाकार दिवस हमें याद दिलाता है कि कला हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है और यह समाज में बदलाव लाने की क्षमता रखती है। इस दिन हम उन सभी कलाकारों को धन्यवाद देते हैं, जो अपनी कला के माध्यम से हमारी दुनिया को सजाते हैं और हमें एक नई दृष्टि देते हैं। विचार गोष्टी में, आशिता राज, अंजलि कुमारी, दीक्षा कुमारी, हिमांशी वर्मा,ईशी रानी, वैष्णवी, वंशिका आदि ने कला व कलाकार दिवस पर अपने अपने विचार व्यक्त किए।