योग्यता और उन्नति के द्वार

सुनील कुमार माथुर

आज का इंसान अपने में जितनी योग्यता रखता है उसके अनुसार तो कार्य करता नहीं है और जिस कार्य का अनुभव व योग्यता उसमें नहीं है वह कार्य वह करना चाहता है जो कि असंभव है । हमारे चाहने मात्र से कुछ भी होने वाला नहीं है फिर भी हम करते है तब हमें सफलता मिलेगी इस बात की कोई गारंटी नहीं है । अतः अपनी योग्यता के अनुसार जो भी कार्य मिले उसे करने में हमें किन्तु परन्तु नहीं करना चाहिए । हमारी योग्यता ही हमारी सफलता की व उन्नति के द्वार खोलती है और हमें अपनी मंजिल तक पहुंचाती है।

बस मन में किसी भी प्रकार का मेल ( राग ध्देष , लोभ लालच , अंहकार , बेईमानी , छल – कपट ) नहीं होना चाहिए । व्यक्ति का मन साफ होना चाहिए । भगवान से केवल भक्ति मांगिये न कि धन – दौलत । धन – दौलत तो हम कठोर परिश्रम करके भी कमा सकते है । मेहनत करने वालों की कभी भी हार नही होती है।

प्रभु हमारे है और हम प्रभु के है । तब फिर परमात्मा से क्या मांगना । उनकी शरण में जाइये और अपने आपको उनके चरणों में समर्पित कर दीजिए । वे अपने भक्तों को कभी भी दुखी नही देख सकते । चूंकि वे ही तो हमारे पालनहार है । अपने आपकों ईश्वर से जोडना ही तो सच्ची भक्ति है।

मानव सेवा और संत सेवा ही ईश्वर की सेवा हैं । सेवा करने से ही तो पुण्य मिलता है । आध्यात्मिक चिंतन करने वालों की ईश्वर हमेंशा रक्षा करते है । दान – पुण्य भी एक प्रकार की सेवा हैं जिसका फल बडा ही चमत्कारी होता है चूंकि हम जितना दान – पुण्य करते है तो परमात्मा वापस उसका क ई गुणा करके देते है साधना कभी भी बेकार नहीं जाती है । यह हमारे पर निर्भर करता है कि हम कैसे भक्ति कर रहे है और कथा में कितना ज्ञान अर्जित कर पा रहे है।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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