अब्दुल बिस्मिल्लाह : साहित्य में जीवन के संघर्ष के चितेरे

राजीव कुमार झा
अब्दुल बिस्मिल्लाह का नाम हिन्दी के वर्तमान लेखकों में महत्वपूर्ण है. उनका प्रारंभिक जीवन संघर्ष में व्यतीत हुआ और एक बेहद पिछड़े मुस्लिम परिवार में जन्म लेने वाले बिस्मिल्लाह के पिता ने कुल मिलाकर आठ शादियां की थीं और उनके पिता कच्चे चमड़ों के व्यापारी थे.
किसी दुर्घटना में बारिश पानी से उनके गोदाम में चमड़ों के बर्बाद हो जाने के बाद वह काफी टूट गये थे और उनका परिवार भी इस हालत में बिखर गया था. अब्दुल बिस्मिल्लाह को इन्हीं परिस्थितियों में अपने तमाम सगे सौतेले भाई-बहनों के साथ बचपन में भटकाव से गुजरना पड़ा.
इस दौरान उनसे उम्र में काफी बड़ी एक बहन ने मिर्जापुर में आश्रय प्रदान किया. आगे अब्दुल बिस्मिल्लाह पढाई-लिखाई और जीवन-यापन की तलाश में इलाहाबाद आ गये और काफी दिनों तक पत्र पत्रिकाओं में काम करके जीवन निर्वाह किया. अध्ययन चिंतन मनन से भी इनका शुरू से लगाव रहा.
आगे चलकर लेखन की ओर भी इनका झुकाव बना ! अब्दुल बिस्मिल्लाह के पास में नैसर्गिक साहित्यिक प्रतिभा थी और बहुत जल्द अपनी कथा कहानियों से अपना समुचित स्थान प्राप्त कर लिया.
इनकी पुस्तकों में कविता संग्रह अब्दुल वली और करीमन बी की कविताएं और उपन्यास झीनी झीनी बीनी चदरिया और दंतकथा के अलावा कहानी संग्रह जिनिया के फूल का नाम उल्लेखनीय है. अब्दुल बिस्मिल्लाह के साहित्य में समाज के निम्न वर्ग के मुस्लिम समुदाय के जीवन और उनकी समस्याओं का जिक्र है.
उन्हें प्रगतिशील लेखक माना जाता है. बनारस के किसी साधारण कालेज में कुछ सालों तक अध्यापन के बाद नयी दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में काफी सालों तक इन्होंने वहां हिंदी के प्रोफ़ेसर के रूप में काम किया.
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »राजीव कुमार झाकवि एवं लेखकAddress »इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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