डिग्री कालेजों के 36 प्राचार्यों समेत 38 पर गिरेगी गाज

डिग्री कालेजों के 36 प्राचार्यों समेत 38 पर गिरेगी गाज, शासन ने इसे गंभीरता से लिया है। उच्च शिक्षा अपर सचिव प्रशांत आर्य ने उच्च शिक्षा निदेशक को आदेश जारी कर कार्यशाला में प्रतिभाग नहीं करने वाले…
देहरादून। राज्य स्तरीय नैक प्रत्यायन कार्यशाला में अनुपस्थित एवं नैक प्रत्यायन के लिए बजट का उपयोग नहीं करने वालों पर गाज गिरेगी। शासन ने अनुपस्थित दो नोडल अधिकारियों और 36 प्राचार्यों का स्पष्टीकरण और कार्रवाई का प्रस्ताव एक सप्ताह में तलब किया है। वहीं एक करोड़ की धनराशि समर्पित करने के लिए दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों पर भी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालय और महाविद्यालय नैक ग्रेडिंग पाने में पिछड़े हुए हैं। ये लापरवाही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान का लाभ पाने की उनकी राह में बड़ी बाधा बनकर खड़ी हो गई है। सरकार ने इस बाधा को दूर करने और विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों की सहायता के लिए बीती सात व आठ दिसंबर को उच्च शिक्षा चिंतन शिविर के साथ नैक प्रत्यायन कार्यशाला आयोजित की थी।
इस कार्यशाला में सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यों और विभागीय अधिकारियों को अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के निर्देश दिए थे। सरकार के निर्देश के बावजूद कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम में अधिकारी और प्राचार्य उपस्थित नहीं हुए। इसकी सूची उपलब्ध कराई गई है। सूची में नैक से संबंधित दो नोडल अधिकारी, 31 सरकारी डिग्री कालेजों के प्राचार्य और पांच सहायता प्राप्त अशासकीय डिग्री कालेजों के प्राचार्य सम्मिलित हैं।
शासन ने इसे गंभीरता से लिया है। उच्च शिक्षा अपर सचिव प्रशांत आर्य ने उच्च शिक्षा निदेशक को आदेश जारी कर कार्यशाला में प्रतिभाग नहीं करने वाले अधिकारियों और प्राचार्यों का स्पष्टीकरण लेने और उन पर कार्रवाई का प्रस्ताव सप्ताह के भीतर देने को कहा है। इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2020-21 में नैक प्रत्यायन के लिए 13 राजकीय डिग्री कालेजों को एक करोड़ की धनराशि जारी की गई थी।
कालेजों को इस धनराशि से नैक प्रत्यायन से पहले आवश्यक सुविधाएं जुटाने के निर्देश दिए गए थे। कालेजों ने इस धनराशि का उपयोग नहीं किया। परिणामस्वरूप यह राशि समर्पित कर दी गई। शासन ने इसके लिए दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई का प्रस्ताव 15 दिन के भीतर उपलब्ध कराने के निर्देश निदेशक को दिए हैं। चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में अभी तक वित्तीय स्वीकृति का प्रस्ताव शासन को प्रस्तुत नहीं किए जाने के कारणों को भी स्पष्ट करते हुए तत्काल प्रस्ताव मांगा गया है।
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