हिन्दी उपेक्षित क्यों…?
हिन्दी उपेक्षित क्यों…? राजस्थान में इस समय मुख्यमंत्री वृक्षारोपण अभियान चल रहा है और स्कूलों व शिक्षण संस्थाओं में 7 अगस्त 2024 को प्रदेश में एक ही दिन में दो करोड पौधे रोपे गये व 5 साल में 50 करोड पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। ताज्जुब कि बात यह है कि राजस्थान सरकार ने… #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
देश में प्रति वर्ष हिन्दी दिवस मनाया जाता है जो हिन्दी भाषा का मजाक उडाना ही कहा जा सकता है हिन्दी के नाम पर हिन्दी दिवस, हिन्दी सप्ताह, हिन्दी पखवाड़ा तक मनाया जाता है और समारोह मनाते हुए मीडिया में फोटों प्रकाशित कराते हैं जो हिन्दी का एक घोर अपमान करने की घिनौनी साजिश है।
दिवस, सप्ताह व पखवाड़े के बाद जमकर अंग्रेजी चलती हैं। आज हम चंद विभागों को छोड दे तो अधिकांश विभागों में कामकाज अंग्रेजी में ही होता है। कहने को हम पढ लिख गये, लेकिन आज भी अंग्रेजी भाषा नहीं आती हैं। हर विभाग के आवेदन पत्र, नियम कायदे, संदेश अंग्रेजी में ही आते है जिसे आम जनता आसानी से समझ नहीं पाती है और उसे फिर गलती का खामियाजा भुगतना पड़ता है।
राजस्थान में इस समय मुख्यमंत्री वृक्षारोपण अभियान चल रहा है और स्कूलों व शिक्षण संस्थाओं में 7 अगस्त 2024 को प्रदेश में एक ही दिन में दो करोड पौधे रोपे गये व 5 साल में 50 करोड पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। ताज्जुब कि बात यह है कि राजस्थान सरकार ने पौधे लगाने वालों को जो प्रमाण पत्र प्रदान किये है वे हिन्दी में छपे हुए हैं इसके बावजूद भी प्रतिभागियों के नाम प्रमाण पत्र मे अंग्रेजी में अंकित कर हिन्दी भाषा का मजाक उड़ाया गया।
अगर सब यूं ही चलता रहेगा तो फिर हिन्दी दिवस मनाने का कोई औचित्य नहीं है। यह केवल लोक दिखावा व नाटक ही कहा जा सकता हैं। सरकार ही नहीं हर विभाग चाहे वह सरकारी हो या निजी। वह अपना काम काज हिन्दी में ही करे। तभी हिन्दी भाषा को उसका सही मान सम्मान मिल पायेगा।
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