साहित्य लहर

सोशल मीडिया पर बेहद जाना पहचाना नाम है ‘अनामिका वैश्य आईना’

सोशल मीडिया पर बेहद जाना पहचाना नाम है ‘अनामिका वैश्य आईना’… मुझे लगता है कि सोशल मीडिया एक बेहद श्रेष्ठ साधन है जिससे हम मनोरंजन के साथ बहुत कुछ सीख सकते हैं सिखा सकते हैं। अगर मैंने तो साहित्य के बारे में जो कुछ भी सीखा है वो सोशल मीडिया से ही सीखा है। #राजीव कुमार झा

अनामिका वैश्य आईना का नाम कवयित्री के तौर पर सोशल मीडिया पर बेहद जाना पहचाना है। यहां लोग इनकी कविताओं का बेसब्री से इंतजार करते हैं। प्रस्तुत है इनके साथ राजीव कुमार झा की बातचीत!

प्रश्न: कविता लेखन की ओर आपका रुझान कब और कैसे कायम हुआ?

उत्तर: मैंने अपनी जिंदगी की सबसे पहली कविता 8वीं कक्षा(2005) में लिखी थी जो कि कोई खास नहीं थी। उसके बाद धीरे-धीरे मैंने भावनाओं को काव्य बनाना शुरू कर दिया और सतत प्रयासों से आज मैंने अब तक लगभग 300 प्रकार के छंद सीखें और लिखें हैं।

प्रश्न:अपने घर परिवार शिक्षा और जीवन की अन्य व्यक्तिगत बातों से अवगत कराएं?

उत्तर: वैसे तो मेरा बचपन नवाबों के शहर लखनऊ में बीता है और मेरा विवाह सीतापुर जिले के नैमिषारण्य क्षेत्र के दधीचि की नगरी मिश्रित तीर्थ में हुआ है। मेरे परिवार में मैं मेरे पति और एक 14 वर्षीय बेटा ही है।

कविता : सरकार मज़े में है ….!



मैंने गणित विषय से स्नातक(बी. एससी.) किया है और शैक्षिक व्यवसायिक डिप्लोमा (डी. एल. एड.) पूर्व नाम बी.टी.सी. किया है। साथ ही टेट की परीक्षा भी उत्तीर्ण किया है।

प्रश्न: अपने प्रिय लेखकों के बारे में बताइए?

उत्तर: पुराने लेखकों में मेरे प्रिय लेखक महादेवी वर्मा जी, जयशंकर प्रसाद जी और प्रेमचंद जी है। और अगर आधुनिक लेखकों की बात की जाए तो मैं अपनी पसंद में शायरा शबीना अदीब, गीतकार डॉ. विष्णु सक्सेना, डॉ. कुमार विश्वास जी, मणिका दुबे, अंजुम रहबर जी को शामिल करती हूँ।



प्रश्न: आजकल सोशल मीडिया पर साहित्य की एक नई रंगत दिखाई दे रही है?

उत्तर:मुझे लगता है कि सोशल मीडिया एक बेहद श्रेष्ठ साधन है जिससे हम मनोरंजन के साथ बहुत कुछ सीख सकते हैं सिखा सकते हैं। अगर मैंने तो साहित्य के बारे में जो कुछ भी सीखा है वो सोशल मीडिया से ही सीखा है।



मेरे अनुसार सोशल मीडिया एक उत्कृष्ट साधन है अपने योग्यता को दिखाने और बढ़ाने का। साथ ही सोशल मीडिया जो कि बिना किसी मूल्य के साहित्य के प्रचार प्रसार में अमूल्य योगदान दे रहा है।



प्रश्न: साहित्य के अलावा अपनी अन्य अभिरुचियों के बारे में बताइए?

उत्तर:साहित्य के अलावा मुझे भिन्न व्यंजन बनाना, लोगों की सामर्थ्यानुसार सेवा और सहयोग करना, धर्म कर्म से जुड़े रहना बहुत ही राहत देता हैं।


सोशल मीडिया पर बेहद जाना पहचाना नाम है 'अनामिका वैश्य आईना'... मुझे लगता है कि सोशल मीडिया एक बेहद श्रेष्ठ साधन है जिससे हम मनोरंजन के साथ बहुत कुछ सीख सकते हैं सिखा सकते हैं। अगर मैंने तो साहित्य के बारे में जो कुछ भी सीखा है वो सोशल मीडिया से ही सीखा है। #राजीव कुमार झा

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights