देहरादून में 129 बस्तियों को किया गया चिह्नित, बुलडोजर का खतरा
मलिन बस्ती अधिनियम के तहत वर्ष 2016 के बाद निर्माण अवैध है। ऐसे में नगर निगम की टीम यह जांच कर रही है कि वर्ष 2016 के बाद मलिन बस्तियों में बिजली-पानी के कनेक्शन लिए गए हैं या नहीं।
देहरादून। दून में नदी-नालों के किनारे खाली जमीनों पर कब्जा और फिर अवैध निर्माण कर खरीद-फरोख्त का खेल तो वर्षों से चल रहा है। रिस्पना-बिंदाल के किनारों पर सरकारी भूमि पर मकान बनाकर 100-100 रुपये के स्टांप पर बेच दिए गए। अब इन मकानों को खरीदने वालों पर बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है। अवैध निर्माण को लेकर हाईकोर्ट के निर्देश पर नगर निगम सर्वे कर रहा है।
जिसमें चिह्नीकरण के बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई भी हो सकती है। ऐसे में मलिन बस्तियों में वर्ष 2016 के बाद मकान खरीदने वालों में खलबली मच गई है और वह नगर निगम के चक्कर काट रहे हैं। देहरादून नगर निगम क्षेत्र में स्थित कुल 129 बस्तियों को चिह्नित किया गया है, जिनमें 40 हजार भवन होने का अनुमान है।
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हालांकि, वर्ष-2016 के बाद किए गए निर्माण नियमानुसार अवैध करार दिए गए हैं। कोई रोक-टोक न होने के कारण शहर के विभिन्न क्षेत्रों में अवैध रूप से बस्तियों का विस्तार कर दिया गया और सैकड़ों नए भवन तैयार कर दिया गया। इस ओर बीते आठ वर्ष से नगर निगम ने भी ध्यान नहीं दिया। वैसे तो मलिन बस्तियों में जमीन या मकान की खरीद-फरोख्त नहीं की जा सकती, लेकिन शहर की तमाम बस्तियों में जमीन व मकान की धड़ल्ले से खरीद-फरोख्त की जाती है।
10 रुपये से लेकर 100-100 रुपये के स्टांप पेपर पर बस्तियों में नए निर्माण कर बेच दिए गए। अब नगर निगम रिस्पना की वास्तविक चौड़ाई जानने के लिए सर्वे कर रहा है। काठबंगला से दूधली तक नदी की चौड़ाई का सर्वे कर वर्ष 2016 के बाद बने भवनों को चिहि्नत किया जाएगा। करीब 13 किलोमीटर की लंबाई में अवैध पाए जाने वाले निर्माण को हटाया जाएगा। सर्वे करने के बाद सप्ताहभर में नगर निगम की ओर से ऐसे भवन स्वामियों को नोटिस भेजे जाएंगे।
स्वयं अतिक्रमण न हटाने पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई भी की जा सकती है। रायपुर चूना भट्ठा, आर्यनगर, अधोईवाला, भगत सिंह कालोनी, मोहिनी रोड, दीपनगर, रामनगर, रिस्पना नगर, चंदर रोड, इंदर रोड, प्रीतम रोड आदि क्षेत्रों में नदी संकरी है। जिसका कारण अतिक्रमण कर अवैध निर्माण किया जाना है। अब हाईकोर्ट के निर्देश पर नगर निगम की ओर से कार्रवाई की तैयारी की गई है।
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ऐसे में स्टांप पेपर पर जमीन खरीदने वालों की धड़कनें बढ़ गई हैं। दो लाख से पांच तक की धनराशि देकर खरीदे गए अवैध मकानों पर ध्वस्तीकरण की तलवार लटक रही है और ऐसे व्यक्ति अब नगर निगम के चक्कर काट रहे हैं। मलिन बस्ती अधिनियम के तहत वर्ष 2016 के बाद निर्माण अवैध है। ऐसे में नगर निगम की टीम यह जांच कर रही है कि वर्ष 2016 के बाद मलिन बस्तियों में बिजली-पानी के कनेक्शन लिए गए हैं या नहीं। इसके लिए ऊर्जा निगम और जल संस्थान का भी सहयोग लिया जा रहा है।