साइबर ठगों का आतंक : पुलिस का रौब दिखाकर नए-नए तरीकों से…
साइबर ठगों का आतंक : पुलिस का रौब दिखाकर नए-नए तरीकों से देते हैं वारदातों को अंजाम… डीएसपी रवि खुंडिया ने बताया कि साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए पहले उनको डराते हैं। जब उनको लगता है कि सामने वाला व्यक्ति डर गया है तो उसे वीडियो कॉल कर कहते हैं कि उसे डिजिटल अरेस्ट कर लिया है। वीडियो कॉल पर अपडेट रहने के लिए कहते हैं।
रोहतक (हरियाणा)। साइबर अपराधी लोगों को ठगने के नए-नए तरीके अपना रहे हैं। इनमें अब नया तरीका डिजिटल अरेस्ट करने का आया है। यह अपराधी सीबीआई, पुलिस के आईपीएस अधिकारी बनकर लोगों को डराते हैं। मोबाइल की स्क्रीन पर पुलिस की वर्दी पहने लोगों का रौब देखकर पढ़े-लिखे लोग भी झांसे में आ रहे हैं।
ठग जहां बैठे होते हैं, उनके पीछे बड़े अक्षरों में पुलिस का मोनोग्राम लिखा होता है। इसके बाद सामने वाला जो भी कहता है, उसे मानना मजबूरी हो जाता है। वह किसी को आतंकवादी संगठनों से जुड़े होने, तो किसी के बच्चों को लड़की के साथ गलत काम करने का डर दिखाते हैं। वहीं अधिकारियों को रिश्वत और अन्य मामलों का डर दिखाकर डिजिटल अरेस्ट की वारदात को अंजाम दे रहे हैं।
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डीएसपी रवि खुंडिया ने बताया कि साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए पहले उनको डराते हैं। जब उनको लगता है कि सामने वाला व्यक्ति डर गया है तो उसे वीडियो कॉल कर कहते हैं कि उसे डिजिटल अरेस्ट कर लिया है। वीडियो कॉल पर अपडेट रहने के लिए कहते हैं। ठग 24 घंटे पीड़ित पर वीडियो कॉल से निगरानी रखते हैं।
इसे डिजिटल अरेस्टिंग कहा जाता है। इसमें खाना खाते, सोते और कोई भी काम करते समय ठगों के साथ ऑनलाइन रहना होता है। यदि कोई ऐसा करना से इन्कार करता है तो उसे तत्काल पुलिस भेजकर गिरफ्तार कराने की धमकी देते हैं। साइबर ठग संबंधित व्यक्ति से पैसे मंगाते हैं और जब अपराधियों को यह लगता है कि उसके पास पैसे नहीं है तो फर्जी तरीके से मामला निपटाने की बात कहकर छोड़ देते हैं।
डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें
- किसी अनजान व्यक्ति के साथ कोई ओटीपी शेयर न करें और न ही किसी अनजान लिंक पर क्लिक करें।
- कोई भी इंटेलिजेंस एजेंसी इस तरह की काॅल या मैसेज नहीं भेजती। ऐसे फोन आने पर सावधान रहें।
- डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की गई है, तो हेल्पलाइन नंबर 1930 व पुलिस से शिकायत कर सकते हैं।
- अनजान नंबर से आए वीडियो कॉल रिसीव न करें। इसमें आपत्तिजनक चीजों के साथ रिकॉर्डिंग हो सकती है।
- बच्चे की गिरफ्तारी का डर दिखाएं, तो इस पर विश्वास न करें और पहले पता करें कि बच्चा कहां है।
- मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें और उन्हें नियमित रूप से बदलें।
- संदिग्ध ईमेल और एसएमएस से सावधान रहें।
- सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क का उपयोग करने बचें।
- साइबर सुरक्षा सॉफ्टवेयर का उपयोग करें।
- इस तरह से डराते हैं आरोपी
- फोन पर पुलिस अधिकारी बनकर पुत्र-पुत्री को किसी केस में फंसाने का डर दिखाते हैं।
- पार्ट टाइम जॉब के नाम पर ओटीपी व बैंक खाते आदि की डिटेल किसी से शेयर न करें।
- किसी भी अंजान व्यक्ति से व्हाट्सएप वीडियो कॉल करने में पूर्ण सावधानी बरतें।
पंचकूला में भी हो चुकी है घटना
पंचकूला के मोहाली में स्किल डेवलपमेंट के डायरेक्टर को डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर 9 लाख रुपये ठगने का मामला सामने आया है।आरोपी 16 घंटे लगातार बातचीत करते रहे। एमडीसी निवासी ने बताया कि वे मोहाली में डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। 1 अगस्त की शाम करीब 5:30 बजे उनके मोबाइल फोन पर कॉल आई और कहा कि वह मुंबई पोस्ट ऑफिस से बोल रहा है। उनके नाम पर एक पार्सल पास आया है। इस पार्सल में पुलिस के आईकार्ड, उनकी यूनिफाॅर्म और 110 ग्राम केमिकल मिला।
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अधिकारी के अनुसार साइबर ठग लोगों को नए-नए तरीकों से ठग रहे हैं और वह इस तरह के लोगों के झांसे में न आएं। चूंकि सीबीआई, पुलिस और बैंक अधिकारी एक साथ कभी भी इस तरह का काम नहीं करते हैं। इसलिए कोई आपको डराए तो सीधे उनके झांसे में न आएं, बल्कि पुलिस अधिकारियों को कॉल करें। – हिमांशु गर्ग, पुलिस अधीक्षक