लेखन भी एक कला

लेखन भी एक कला, बाल साहित्य लेखन हेतु तो पहले रचनाकार को बच्चा बनना पडता है तभी वह बाल साहित्य लिख पाता हैं। तभी तो कहा जाता है कि साहित्य लेखन भी एक कला हैं। कोई गुड्डे गुड्डियां का खेल नहीं। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
रचनात्मक लेखन भी एक कला हैं। लेखन से जहां एक ओर हमारा शब्द भण्डार बढता हैं वही दूसरी ओर लेखन क्षमता भी बढती हैं। अगर आप नियमित रूप से लेखन करेगे तो आपकों अनेक सुंदर सुंदर कमेंट्स मिलेगे। आपकी नियमितता को सलाम।
लेखनी का कमाल। आपके नेक व प्रेरणादायक लेखन के लिए साधुवाद। आपकों भले ही यह कमेंट्स सामान्य लगे, लेकिन आपके हौसला अफजाई के लिए काफी सहायक सिध्द होगे।
इसलिए सदैव अच्छा सोचे, अच्छा लिखे व अच्छा पढे। इससे आपकी चिंतन शक्ति बढेगी और आपका शब्दकोष भी। रचनात्मक लेखन के लिए शब्दों के समुन्द्र में गोते लगाने पडते है तब कहीं अच्छा आलेख लिख पाते हैं।
बाल साहित्य लेखन हेतु तो पहले रचनाकार को बच्चा बनना पडता है तभी वह बाल साहित्य लिख पाता हैं। तभी तो कहा जाता है कि साहित्य लेखन भी एक कला हैं। कोई गुड्डे गुड्डियां का खेल नहीं।
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