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हमें भीख में नहीं मिली थी आजादी

हमें भीख में नहीं मिली थी आजादी… नेहरू जी सभी धर्मो मे साम्प्रदायिक सौहार्द, पारस्परिक सद्भाव, एकजुटता, देश प्रेम की भावनात्मक मजबूती के कायल थे। हम सब का फर्ज है की इस सोच को और मजबूत बनाये। यही नैहरू जी को श्रदधाजंली होगी। यह आज के हालात की बुनियादी जरूरत भी है।

आजादी हमें भीख में नहीं मिली थी इसके लिए स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, शहीदों, आजाद हिदं फौज ने अपनी कुर्बानियां दी थी। इसका एहसास आजादी के बाद पैदा नयी पीढी को होना मुश्किल है जिन्होने गुलामी देखी ही नही। नेहरू जी सभी धर्मो मे साम्प्रदायिक सौहार्द, पारस्परिक सद्भाव, एकजुटता, देशप्रेम की भावनात्मक मजबूती के कायल थे। हम सब का फर्ज है की इस सोच को और मजबूत बनाये।

यही नैहरू जी को श्रदधाजंली होगी।यह आज के हालात की बुनियादी जरूरत भी है। ये विचार आज नेहरू जी की 135 वीं जयन्ती पर नैहरू संग्रहालय मे संयुक्तनागरिकसंगठन के तत्वाधान से आयोजित पुष्पांजलि कार्यक्रम मे वकताओ ने व्यक्त किए। इस दौरान इनकी प्रतिमा को कैंडल लाइट से प्रकाशवान बनाया गया। वक्ताओं का यह भी कहना था की विश्व शांति के अग्रदूत,पंचशील सिद्धांतो के समर्थक,गुटनिरपेक्ष आंदोलन के जन्मदाता,आधुनिक भारत के निर्माणकर्ता,आजादी के आंदोलन के नेता प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है।

नेहरू जी सभी धर्मो मे साम्प्रदायिक सौहार्द, पारस्परिक सद्भाव, एकजुटता, देश प्रेम की भावनात्मक मजबूती के कायल थे। हम सब का फर्ज है की इस सोच को और मजबूत बनाये। यही नैहरू जी को श्रदधाजंली होगी। यह आज के हालात की बुनियादी जरूरत भी है। कार्यक्रम में ब्रिगेडियर केजी बहल, मुकेश नारायण शर्मा,चौधरी ओमवीर सिंह,सत्य प्रकाश चौहान,जगदीश भंडारी,विशम्बरनाथ बजाज,प्रकाश नागिया,खुशबीर सिंह,दिनेश भंडारी,जगमोहन मेंदीरत्ता,आशा टम्टा आदि थे।

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