अतीत संस्कृति और विरासत को याद दिलाता है पर्यटन
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जहानाबाद। राष्ट्रीय पर्यटन दिवस पर जीवन धारा नमामि गंगे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि पुरातन सांस्कृतिक और विरासत की पहचान कराता पर्यटन है। भारतीय संस्कृति और पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक वर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाया जाता है।
भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा 25 जनवरी को स्थापना की गई थी। पर्यटन दिवस के माध्यम से भारत की ऐतिहासिक संस्कृति, प्राकृतिक सुंदरता और संस्कृति को बढ़ावा मिलता है। राष्ट्रीय पर्यटन दिवस “स्टेबल जर्नी, टाइमलेस मेमोरी” कहा गया है। पर्यटन दिवस मनाने का प्रारंभ 25 जनवरी। 1948 से हुई थी। पर्यटन और संचार मंत्री के नेतृत्व में पर्यटन विभाग की स्थापना 25 जनवरी 1998 ई. हुई।
पर्यटन यातायात समिति का गठन 1951 में कोलकाता और चेन्नई में पर्यटन दिवस के क्षेत्रीय कार्यालयों स्थापित किए गए। फिर दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में भी पर्यटन कार्यालयों की स्थापना हुई।
आतीत संस्कृति और विरासत को पर्यटन दिलाता है। बिहार में 102 पर्यटन स्थल है। पटना में अगमकुवां, पटनदेवी, गोलघर, नालंदा जिले का राजगीर, नालंदा,पावापुरी, गया का विष्णुपद, मंगलागौरी, रामशिला, बोधगया का बोधिमन्दिर, डुंगेश्वरी, औरंगाबाद जिले का देव सूर्यमंदिर, उमगा का उमगपर्वत पर सूर्यमंदिर, उमगेश्वरी, जहानबाद जिले के बराबर पर्वत समूह पर स्थित गुफाएं, भीटी चित्र,मूर्तियां, गुहा लिपि, अरवल जिले का करपी जगदंबा स्थान, मदसर्वा, वैशाली, सीतामढ़ी, भागलपुर, खगड़िया, मुजफरपुर, कैमूर, रोहतास आदि जिले में मागधीय, वज्जिका, मैथिली, भोजपुरी की पुरातन काल की संस्कृति और विरासत विखडी पड़ी है।