श्रेष्ठ कर्म

सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
जीवन में हमेंशा श्रेष्ठ कर्म कीजिए और फल की इच्छा मत कीजिए । जीवन में हार – जीत, हानि – लाभ, नफा – नुकसान, सफलता – विफलता चलती ही रहती है, लेकिन इससे हमें हताश, निराश नहीं होना चाहिए। भागदौड़ की इस दुनियां में हर कोई यह जानता है कि दौड़ में तो एक व्यक्ति ही प्रथम आयेगा फिर भी सभी लोग दौड़ते हैं और अपना भाग्य आजमाते हैं।
क्या हार के डर से हम भागना ही छोड दें। तब फिर जीत को कैसे हासिल कर पायेंगे। जीवन में किसी भी कीमत पर भरोसे को टूटने मत दीजिए । चूंकि भरोसा करने वाले ने हम पर भरोसा अपना मान कर किया हैं। इसलिए भरोसा तोड़ कर किसी का दिल न दुखाएं। भरोसा हर किसी पर नहीं किया जा सकता।
चूंकि जब भरोसा टूटता हैं तब वह कांच की तरह टूट कर बिखरता हैं और फिर से वैसे का वैसा नहीं जुडता है ठीक उसी प्रकार जब भरोसा टूटता हैं तब दिल को गहरी चोट लगती हैं और उस टूटे हुए भरोसे को कभी भी फिर से वैसे का ही वैसा जोड़ा नहीं जा सकता। इसलिए कभी कभी दिल से नहीं दिमाग से भी काम लेना पडता हैं।
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Nice article