धूप की धार में कांवर यात्रा का नजारा

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राजीव कुमार झा

आषाढ़ के आगमन के साथ बारिश की फुहार ग्रीष्म के ताप से सबके मन को राहत प्रदान करती है और धरती पर सुख शांति का नया दौर शुरू हो जाता है लेकिन इस साल बारिश की कमी से सर्वत्र मायूसी छायी है!

आषाढ़ में ज्यादा बारिश नहीं होती है इसके बावजूद इस ऋतु की बारिश से धूप में तपते आम और लीची के फूलों में मिठास भर जाती है. इस साल इन फलों के स्वाद में एक फीकापन छाया रहा और बाग बगीचों में बारिश नहीं होने से एक उमस वहां कायम रही. इस साल सावन के आने से पहले कोरोना के संक्रमण का भय इसके वैक्सीनेशन के प्रभाव से हर जगह कम होता दिखायी देने लगा.

इन्हीं अनुकूल स्थितियों में सावन की कांवर यात्रा भी दो – तीन सालों के बाद देश के सभी हिस्सों में संपन्न होती दिखाई दे रही है लेकिन मानसून की बारिश के अभाव में खेत खलिहान में सन्नाटा फैला है! सारे बिहार में अकाल आने की संभावना व्यक्त की जा रही है!

कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान भी वहां आकाश में बादल फटने से कई सालों के बाद आयोजित इस तीर्थयात्रा में व्यवधान उत्पन्न हो गया. आषाढ़ के मध्य में सेना में अग्निवीर योजना के कारण उत्तर प्रदेश और बिहार में यात्री रेलगाड़ियों को जलाने की दुखद घटनाएं घटित हुईं.

इससे कोरोना की तरह ही देश के कुछ हिस्सों में रेलसेवा को कुछ दिनों के लिए फिर अस्तव्यस्त हो गयी . सावन के बाद बारिश होने से कोई फायदा नहीं होगा और बेमौसम की बारिश से बाढ़ आने की संभावना है.


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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राजीव कुमार झा

कवि एवं लेखक

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इंदुपुर, पोस्ट बड़हिया, जिला लखीसराय (बिहार) | Mob : 6206756085

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देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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