अंधविश्वास : खुदाई में मिले 140 बच्चों के अवशेष

(देवभूमि समाचार)

अंधविश्वास, जिसका न ओर है और न छोर है। जिसके चलते न जीवन को सही राह मिल पायी है और न ही मृत्यु ठीक से हुयी है। विश्व में, हमारे देश में ऐसे-ऐसे गुनाह, ऐसे अपराध या ऐसे क्रियाकलाप होते हैं, जो अजब-गजब के किस्सों में रख दिये जाते हैं। घटनायें सामने आती रहीं हैं और हम सनते-सुनाते रहे हैं। वष 2011 में भी एक मामला सामने आया था और वर्ष 2018 में भी खुदाई में सुबूत पाये गये थे।

अंधविश्वास के किस्से केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रचलित है। अंधविश्वास की ऐसी ही एक जीती-जागती तस्वीर पेरू के ट्रुजिलो से सामने आई है। यहां धार्मिक अनुष्ठान के नाम पर 140 बच्चों की बलि दे दी गई थी। इस बात का खुलासा पुरात्तव विभाग की खुदाई में मिलें अवशेषों से हुआ है।

नेशनल जियोग्राफिक की रिपोर्ट्स के मुताबिक पेरू के उत्तरी तटीय क्षेत्र में 550 साल पहले किसी धाार्मिक अनुष्ठान के तहत इतने बच्चों की एक साथ बलि दी गई थी। इन अवशेषों में बच्चों के साथ 200 छोटे लामाओं एक प्रकार के जानवर के भी अवशेष मिले हैं। इससे पहले 2011 में इसी जगह पर 42 बच्चों और 70 लामा के अवशेषों का पता लगाया था।

पेरू के इस पुरातात्विक स्थल को ‘हुआनचाकिटो-लास लामास’ के नाम से भी जाना जाता है। ये जगह यूनेस्को की वर्ल्ड हेरीटेज साइट चान चान से आधे मील की दूरी पर स्थित है। इन जगहों में अवशेषों के मिलने का पता सबसे पहले सन् 2011 में चला था। यहां धरती के नीचे दबे अंशों को यहां खनन की खुदाई करने वालों ने देखा था।

उस दौरान विभाग की ओर से खुदाई में केवल 42 बच्चों और 76 लामा के अवशेष पाए गए थे। जबकि 2016 में वहीं पर 140 बच्चों और 200 लामा के अवशेष पाए गए। जमीन में काफी गहराई में दबे इन अवशेषों को पता रेडियोकार्बन तकनीक से लगाया गया।

रिपोर्ट के अनुसार इन अवशेषों को देखकर लगता है कि बच्चों के दिल निकालने के लिए उनके पसलियों और पेट की दूसरी हड्डियों को काटा गया था। मरने वाले ये बच्चे ज्यादातर 5 से 14 साल के थे। इसमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं। इस जगह की जांच अभी तक चल रही है। इसे नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी कर रही है।

(साभार)

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