साहित्य लहर
श्री गणेश वंदना

सुनील कुमार
हे गौरी सुत गणेश, हर लो मेरे कलेश
विघ्नहर्ता तुम सारे जग के
फिर काहे की है अब देर
हे गौरी सुत गणेश, हर लो मेरे कलेश।
भक्तों के हो तुम रखवाले
बिगड़ों के सब काज संवारे
तनिक करो न अब तुम देर
हे गौरी सुत गणेश, हर लो मेरे कलेश।
मूषक की करते सवारी
हरते सबकी विपदा सारी
सुन लो तुम अरज हमारी
तुम पर हूं मैं बलिहारी।
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¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमारलेखक एवं कविAddress »ग्राम : फुटहा कुआं, निकट पुलिस लाइन, जिला : बहराइच, उत्तर प्रदेश | मो : 6388172360Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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