कविता : इस हवा में संदेश है…

राजेश ध्यानी सागर
इस हवा में
संदेश है ,
इसमे छुपी है
बाते भी।
इसमे निशां
हैं तैरते ,
दिन रहें ओर
रातें भी।
अपने तो इसमें
डोल रहें
अपनो की पोल
खोल रहें ,
कानों मे हल्के
शब्दो से
गिना रहें ,
औकातें भी।
गैंरों की बारात
भी इसमें
अपने उनसे
मिल रहें ,
जीना मरना
संग रहेगा ,
खा रहें ,
सौगाते भी।
इस हवा में
संदेश है
इसमें छुपी है
बाते भी।
👉 देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है। अपने शब्दों में देवभूमि समाचार से संबंधित अपनी टिप्पणी दें एवं 1, 2, 3, 4, 5 स्टार से रैंकिंग करें।
👉 यदि आप चाहें तो देवभूमि समाचार से सोशल मीडिया में भी जुड़ सकते हैं, जिससे संबंधित लिंक नीचे दिये गये हैं।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
![]() |
From »राजेश ध्यानी “सागर”वरिष्ठ पत्रकार, कवि एवं लेखकAddress »144, लूनिया मोहल्ला, देहरादून (उत्तराखण्ड) | सचलभाष एवं व्हाट्सअप : 9837734449Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
---|