साहित्य लहर

कविता : पहलगाम ‘आतंक का मैदान’

संगीता सागर

किन शब्दों में दूं श्रद्धांजलि उनको
जिनके रक्त से हुआ कश्मीर लाल।
शब्द आज मौन हैं, शब्दकोश खाली
मुखरित है वेदना, पर नहीं तन्हा
साथ साथ हैं अश्रुपूरित शून्य आँखें

सीने में धधक रही है क्रोध की ज्वाला।
जब बटा धर्म के नाम पर देश
फिर क्यों रह रहे हैं लोग यहां?
हम हिंदू भोग रहे हैं
कुछ ऐसे दिवंगत नेताओं के जुर्म की सजा

जो खुद बन गए मसीहा
टांग दिए हम सनातनियों को
सलीब पर सदा के लिए,
दे गए कभी न खत्म होने वाला दर्द।

अब है हमें ही इसे मिटाना
उठाएं हाथों में तलवार
जलाएं क्रांति की मशाल,
कर लें हम अपने को
महायुद्ध के लिए तैयार,
महायुद्ध के लिए तैयार।।


संगीता सागर की यह कविता, “पहलगाम/ आतंक का मैदान,” कश्मीर में हिंसा और आतंकवाद के कारण हुए रक्तपात और पीड़ा को व्यक्त करती है। कवयित्री उन लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करने में स्वयं को असमर्थ पाती हैं जिनके बलिदान से कश्मीर लाल हुआ है। उनके शब्द मौन हैं, और शब्दकोश खाली है, जबकि वेदना मुखर है। इस वेदना में वे अकेली नहीं हैं, बल्कि अश्रुपूरित आँखें और क्रोध की ज्वाला धधकते हुए सीने उनके साथ हैं।

कविता भारत के विभाजन और धर्म के नाम पर हुए बंटवारे पर प्रश्न उठाती है, खासकर जब मुस्लिम अभी भी यहां रह रहे हैं। कवयित्री का मानना है कि हिंदू कुछ ऐसे दिवंगत नेताओं के “जुर्म” की सजा भुगत रहे हैं जिन्होंने स्वयं को मसीहा मानकर सनातनियों को “सलीब” पर टांग दिया और उन्हें कभी न खत्म होने वाला दर्द दिया, जिसे वह “मुस्लिम आतंकवाद” कहती हैं। कविता इस “मुस्लिम आतंकवाद” को मिटाने और उन्हें उनकी “औकात” दिखाने का आह्वान करती है।

इसके लिए कवयित्री जातियों के भेद को मिटाकर एकजुट होने, तलवार उठाने, क्रांति की मशाल जलाने और एक “महायुद्ध” के लिए तैयार होने का आह्वान करती हैं। “पहलगाम/ आतंक का मैदान,” कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र को आतंकवाद से प्रभावित और रक्तरंजित क्षेत्र के रूप में प्रस्तुत करता है, जो कविता में व्यक्त पीड़ा और संघर्ष की भावना को और अधिक तीव्र करता है।


Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights