कविता : अच्छे बच्चे प्यारे बच्चे

सुनील कुमार माथुर

अच्छे बच्चे , प्यारे बच्चे
यह हैं जग में सबसे न्यारे
बच्चे होते हैं जन – जन को प्यारे
बच्चों बिना है यह आंगन सुना सुना
बच्चे है तो घर -घर मे है रौनक
बच्चे होते हैं जीवन का सहारा
बच्चे है तो जीवन में है किलकारियां
बच्चे है तो सर्वत्र रौनक हैं
बच्चों के बिना है सब कुछ सूना
बच्चे है हमारी आंखों के तारें
माता – पिता के हैं बडें दुलारें
बच्चे हैं तो खेल खिलौने है
बच्चें होते है जन जन के प्यारे
मां – बाप के है बडे दुलारे
घर में ये हैं कृष्ण – कन्हैया
अच्छे बच्चे , प्यारे बच्चे
यह हैं जग में सबसे न्यारे
बच्चे है जन जन को प्यारे
बच्चे है तो लाड़ – दुलार हैं
बच्चे है तो ममता का सागर हैं
बच्चे है तो ये मेले हैं
बच्चे हैं तो घर – परिवार में हलचल है
बच्चे है तो चर आंगन में रौनक है
बच्चे मां की आंखों के तारे हैं
बच्चे कुल दीपक है
बुढापे का वे सहारा है


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

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सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

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