फिर लौटा मानसून
ओम प्रकाश उनियाल
लगता है मानसून पुन: लौट आया है। अक्टूबर माह में भी मेघ जमकर बरस रहे हैं। जिसके कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है। पहाड़ों में कई जगह बरसात से नदी-नाले उफन रहे हैं, भूस्खलन होने के कारण कई मार्ग अवरुद्ध हैं। एक तरफ बारिश तो दूसरी तरफ ऊंचे पहाड़ों पर बर्फबारी। ठंड का प्रकोप भी बढ़ने लगा है।
मैदानी इलाकों में बाढ़ से हा-हाकार मचा हुआ है। फसलें बरबाद हो चुकी हैं। किसी का ठिकाना बाढ़ की भेंट चढ़ चुका है तो कहीं जान-माल की हानि। इंसान के साथ-साथ बेजुबानों पर भी भारी पड़ रही है बेमौसमी बरसात। अभी मानसून की मार से पूरी तरह भी नहीं उभर पाए लोग कि फिर से वही स्थिति बन गयी है।
बाढ़-नियंत्रण के लिए राज्य सरकारें व केंद्र सरकार प्रयास तो करती है। लेकिन ये प्रयास सरकारों को मानसून शुरु होेने से चंद दिन पहले याद आते हैं। वह भी ठोस प्रयास नहीं। लीपापोती ज्यादा, काम कम। प्रकृति तो हर साल अपना कहर बरपाएगी ही। फिलहाल जो स्थिति आसमां बयां कर रहा है उससे तो यही अनुमान लग रहा है कि अभी कुछेक दिन अपना रुख बनाए रखेगा।
मौसम विभाग भी चेतावनी देकर लोगों को सतर्क करता रहता है। प्रकृति पर किसी का वश नहीं। कब अपना रौद्र रूप दिखा डाले। प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा तो हमें भुगतना ही पड़ेगा।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »ओम प्रकाश उनियाललेखक एवं स्वतंत्र पत्रकारAddress »कारगी ग्रांट, देहरादून (उत्तराखण्ड) | Mob : +91-9760204664Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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