पारंपरिक स्नेह का प्रतीक पर्व मकर संक्रांति

इस समाचार को सुनें...

सुनील कुमार माथुर

भारत वर्ष पर्वों एवं त्यौहारों का देश है जहां हर सप्ताह या हर पखवाड़े कोई न कोई तीज त्यौहार आते ही रहते है इसलिए भारत वर्ष त्यौहारों व पर्वों का देश कहलाता है । वही दूसरी ओर कश्मीर से कन्या कुमारी तक भारत एक है । यहां हर जाति , भाषा, क्षेत्र के लोग रहते हैं जिनके अलग-अलग तीज त्यौहार आते ही रहते है ।

इसके बावजूद भी यहां विविधता में भी एकता है यह हमारे देश की एकता-अखंडता व सम्प्रभुता की रक्षा करते हैं । कहा भी जाता है कि विविधता में ही एकता हैं । हमारे देश मे सभी जाति के लोग एक दूसरें के पर्व व त्यौहारों में हर्षोल्लास के साथ भाग लेते हैं जिसके कारण पर्व एवं त्यौहारों की रौनक और भी बढ जाती हैं ।

सूर्योपासना का पर्व मकर संक्रांति का पर्व हर साल चौदह जनवरी को परंपरागत व हर्षोल्लास के माहौल में मनाया जाता हैं । सुबह सूर्योदय से आरम्भ होकर देर शाम तक अनवरत जारी रहता हैं । मकर संक्रांति को पवित्र जलाशयों पर सुबह से ही बडी संख्या में श्रद्धालुओ का तांता लगना आरम्भ हो जाता हैं । पवित्र स्नान के बाद सूर्य की उपासना की जाती हैं ।

मकर संक्रांति पुण्य काल के दौरान धार्मिक स्थलों में अनुष्ठान , पूजन , हवन , यज्ञ , वेद पाठ व अभिषेक किये जाते हैं । महिलाएं परिवार की सुख शान्ति व समृध्दि के लिए तिल व गुड का दान , तिल के लड्डूओ का दान करती हैं । वहीं अपनी-अपनी सामर्थ्य के अनुसार तेरह तरह के गृह उपयोगी व श्रृंगार की वस्तुएं तेरूणडे के रूप में बांटी जाती हैं ।

मकर संक्रांति को अनेक जगह मंदिरों में भगवान को तिल के लड्डू ओ का भोग लगाया जाता हैं और इसके बाद जरूरतमंद लोगों में व गरीबों में तिल व शक्कर से बने हुए लड्डूओ का दान किया जाता हैं चूंकि इस दिन किये गये दान का अपना एक अलग ही महत्व बताया जाता है । वही दूसरी ओर यह त्यौहार पारंपरिक स्नेह और मधुरता का भी प्रतीक हैं ।

इस दिन लोग सामाजिक सरोकार का अपना धर्म निभाते हैं और गरीब बच्चों के बीच में जाकर उनके संग मकर संक्रांति की खुशियां बांटते हैं और अपने हाथों से नन्हे-नन्हे बच्चों को लड्डू , गजक , रेवडी , ऊनी वस्त्र आदि का वितरण करते हैं । अनेक स्थानों पर इस दिन पूरे दिन पतंगबाजी की जाती है और हर आयुवर्ग के स्त्री व पुरूष दिन भर छतों पर पतंगबाजी ही करते हुए देखे जा सकते हैं और वो काटा के हल्ला-गुल्ला से सारा वातावरण देखने योग्य होता हैं ।

मकर संक्रांति पर जहां एक ओर मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान होते हैं वही दूसरी ओर सूर्योदय से सूर्यास्त तक दान – पुण्य का दौर चलता रहता हैं ।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

सुनील कुमार माथुर

लेखक एवं कवि

Address »
33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

9 Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights