सीखो दुनियादारी निर्मल

आशीष तिवारी निर्मल
सीखो दुनियादारी निर्मल।
जंग पड़ी है सारी निर्मल।।
दुनिया से है क्या बतलाना।
अपनी हर लाचारी निर्मल।।
मन में है विश्वास तो इक दिन।
जीते बाजी हारी निर्मल।।
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खा जाने को सब आतुर हैं।
मत रख सबसे यारी निर्मल।।
खा जाएगी तुझको एक दिन।
सच की ये बीमारी निर्मल।।
बहकावे में पागल मत बन।
रख थोड़ी हुशियारी निर्मल।।
सँभल सँभल कर चलना प्रतिपल।
जग तलवार दुधारी निर्मल।।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »आशीष तिवारी निर्मलकवि, लेखक एवं पत्रकारAddress »मकान नंबर 702 लालगाँव, जिला रीवा (मध्य प्रदेश) | Mob : 8602929616Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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