शिक्षा का महत्व

सुनील कुमार माथुर
शिक्षा का मानव जीवन में अमूल्य योगदान है । चूंकि शिक्षा के बिना मानव जीवन पशुतुल्य माना जाता हैं शिक्षा हमें अज्ञानता रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाती है और हमारे सम्पूर्ण व्यक्तित्व के निर्माण में बडी सहायक है। शिक्षा ही हैं जो हमें समाज व राष्ट्र के लिए कुछ नया करने को प्रेरित करती हैं और परिवार , समाज व राष्ट्र के उत्थान और विकास में सहायक होती है।
शिक्षक स्वंय तपकर ( ज्ञान अर्जित करके ) विधार्थियों को राष्ट्र का एक सुयोग्य व आदर्श नागरिक बनाते है । चूंकि उनके कंधों पर ही राष्ट्र के नव निर्माण का भार होता है । शिक्षक किताबी ज्ञान के साथ ही विधार्थियों को संस्कारवान शिक्षा दे ताकि विधार्थी चरित्रवान और संस्कारवान बनें और न केवल स्वंय पढे अपितु दूसरों को भी पढने के लिए प्रेरित करें।
वहीं दूसरी ओर सरकार भी अच्छी शिक्षा हेतु पाठ्यक्रमों में आमूलचूल परिवर्तन करें व नैतिक शिक्षा और स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनियों को पाठ्यक्रम में शामिल करें व शिक्षा को शारीरिक श्रम से जोडे ताकि शिक्षा प्राप्ति के बाद कोई भी शिक्षित बेरोजगार न रहें व हर हाथ को काम मिलें।
स्कूलों मंदिर खेल के मैदान , वाचनालय , पुस्तकाल्य , बैठने के लिए फर्नीचर व पढाने के लिए शिक्षकों की पर्याप्त व्यवस्था हो और स्वंय का भवन हो । तभी शिक्षा का अपना ही महत्व हैं अन्यथा खामियों के चलते अपनी कमजोरी छिपाते हुए हर वर्ष बडी संख्या में बच्चों को पास करके शिक्षित बेरोजगारों की फौज बढाते रहने से कोई लाभ नहीं हैं।
अपितु इससे तो समाज में असंतोष ही बढेगा जो उचित नहीं हैं । अतः समय के साथ ही साथ शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन किया जाये चूंकि शिक्षा ही आदर्श संस्कारों की जननी है।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरस्वतंत्र लेखक व पत्रकारAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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