आपके विचार

स्वयं पर भरोसा रखिए

सुनील कुमार माथुर
स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार, जोधपुर (राजस्थान)

आज की इस प्रतिस्पर्धा की अंधी दौड़ में व्यक्ति का भरोसा स्वयं से अधिक दूसरों पर टिक गया है। यह स्थिति अपने आप से एक प्रकार का छल है। दूसरों पर विश्वास करना निश्चित रूप से आवश्यक है, किंतु अपने आप पर भरोसा रखना उससे भी अधिक आवश्यक। यदि आप स्वयं पर विश्वास नहीं करेंगे, तो दुनिया आप पर क्यों विश्वास करेगी?

जो व्यक्ति अपने आत्मबल पर विश्वास करता है, दुनिया उसके सामने सिर झुकाने को विवश होती है। इसलिए कभी यह न सोचें कि फलां कार्य आपसे नहीं होगा। जब तक हम किसी कार्य को आरंभ नहीं करते, वह कठिन प्रतीत होता है। परंतु जैसे ही हम पूरी ईमानदारी, निष्ठा और समर्पण के साथ प्रयास करते हैं, कार्य स्वतः सरल होता चला जाता है।

आत्मविश्वास ही सफलता की पहली सीढ़ी है

जो व्यक्ति स्वयं पर विश्वास करता है, वही जीवन में आगे बढ़ता है। आत्मविश्वास से ही संकल्प बनता है, और संकल्प से ही सफलता। जो अपने भीतर की शक्ति को नहीं पहचानता, वह अक्सर जीवन की दौड़ में पिछड़ जाता है।

सेवा ही सच्ची भक्ति है

यदि किसी भूखे को भोजन और प्यासे को पानी दे दें, तो यही सर्वोच्च भक्ति है। धर्म और भक्ति की व्याख्या केवल पूजा-पाठ से नहीं होती, सेवा, करुणा और मानवता ही उसके मूल हैं।

निष्पक्षता रखें, मोह-घृणा से बचें

जब किसी से मोह अधिक हो जाता है, तो उसकी बुराइयाँ दिखाई नहीं देतीं। और जब किसी से घृणा हो जाती है, तो उसकी अच्छाइयाँ भी ओझल हो जाती हैं। इसलिए निष्पक्ष दृष्टिकोण बनाए रखें। न अंधा मोह पालें, न ही दुर्भावना रखें। हर व्यक्ति अपनी जगह विशेष होता है, बस हमें परिस्थिति की समझ के अनुसार व्यवहार करना चाहिए

प्रशंसा और हौसले का मूल्य

कभी किसी को बुरा न कहें। अच्छा कार्य करने वालों की प्रशंसा करें। यदि आप उन्हें पुरस्कार नहीं दे सकते, तो एक शाबाशी, एक मुस्कान, या प्रशंसा के दो शब्द भी बहुत बड़ा संबल बन सकते हैं।

विचार तभी सार्थक हैं जब उन्हें जिया जाए

आपके विचार कितने भी उत्कृष्ट क्यों न हों, तब तक व्यर्थ हैं जब तक आप उन्हें अपने जीवन में न उतारें। विचारों को केवल उपदेश न बनाएं — उन्हें जीना सीखें। यदि हम स्वयं ही अपने सिद्धांतों का पालन न करें, तो फिर दूसरों से उसकी अपेक्षा कैसे करें? हर बदलाव की शुरुआत अपने आप से होनी चाहिए। तभी समाज और संसार में सकारात्मक परिवर्तन संभव है।


निष्कर्ष:
आत्मविश्वास, सेवा भावना, निष्पक्ष दृष्टिकोण, और जीवन में विचारों की प्रामाणिकता — ये सभी गुण किसी भी व्यक्ति को न केवल सफल, बल्कि सम्मानित और प्रेरणादायक व्यक्तित्व बनाते हैं। सुनील कुमार माथुर जी का यह लेख एक मानवीय संदेश है कि स्वयं पर भरोसा कीजिए — यही जीवन की असली पूंजी है।


Devbhoomi Samachar

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