साहित्य लहर

सम्पूर्ण होकर भी अधूरी

प्रेम बजाज

कहते हैं लोग नारी की सोच नर से है,
कभी किसी ने सोचा है, नारी ने ही नर को बनाया है,
फिर क्यों कहते कमज़ोर नारी की काया है।

माना कि झुक कर स्वीकार करती है वो,
जो सोच देता नर, उसी पर चलती है वो,
होने पर भरपूर के बावजूद खाली खुद को दर्शाती है वो।

लगे ना नर के अहम को ठेस
जिस सोच पर चलाता नर उसी पर चलती है वो,
करती सब कुछ कबूल क्योंकि उसके प्यार में पिघलती है वो।

होते हुए नदी विशाल धरा सी प्यासी रहती है वो,
मिल जाने को समुद्र में उत्तेजित रहती है वो,
पीकर नर के इश्क का जाम मोहब्बत में सराबोर रहती है वो।

लुटाती सब पर जो बेइंतहा मोहब्बत,
खुद मोहब्बत की तड़प में तरसती है वो,
उंडेल देता जब पुरुष खुद को उस पर,
उसके लिए लुट जाती है वो।

लेकर उसका वजूद उसको लौटाती है वो,
होते हुए सम्पूर्ण भी अधूरी रहती है वो।


¤  प्रकाशन परिचय  ¤

Devbhoomi
From »

प्रेम बजाज

लेखिका एवं कवयित्री

Address »
जगाधरी, यमुनानगर (हरियाणा)

Publisher »
देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड)

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights