फेफड़ों के कैंसर से बचाव में सामूहिक प्रयास की जरूरत : डॉ अमित सहरावत
फेफड़ों के कैंसर से बचाव में सामूहिक प्रयास की जरूरत : डॉ अमित सहरावत… एम्स ऋषिकेश के अंकित तिवारी, एमएसएन ऑन्कोलॉजी से रीमा गुप्ता, प्रशांत शर्मा, योगंबर सिंह, विश्वविद्यालय परिसर से डॉ. शालिनी कोटियाल, डॉ. बिंदु, डॉ. अर्जुन पालीवाल, देवेंद्र भट्ट, और निशांत बटला सहित माइक्रोबायोलॉजी, मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, बीएससी,जूलॉजी के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। #अंकित तिवारी
ऋषिकेश। श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर में लंग कैंसर जागरूकता माह के अंतर्गत एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ एम्स ऋषिकेश के कैंसर रोग विशेषज्ञ एवं सह आचार्य डॉ. अमित सहरावत ने किया। संगोष्ठी का मुख्य विषय “फेफड़े के कैंसर की रोकथाम और प्रबंधन” था।
फेफड़ों के कैंसर की गंभीरता पर चर्चा : डॉ. अमित सहरावत ने अपने व्याख्यान में फेफड़ों के कैंसर से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह रोग विश्व स्तर पर कैंसर से होने वाली मौतों में सबसे आगे है। भारत और विशेष रूप से उत्तराखंड में तंबाकू सेवन और वायु प्रदूषण इसके प्रमुख कारक हैं।
उन्होंने आंकड़ों के माध्यम से जानकारी दी कि फेफड़ों का कैंसर वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे सामान्य कैंसर है, जो हर वर्ष लगभग 1.8 मिलियन मौतों का कारण बनता है। भारत में स्थिति और गंभीर है, जहां केवल 14% मामले शुरुआती अवस्था में पहचाने जाते हैं, जिससे इलाज अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
कारण और रोकथाम के उपाय : डॉ. सहरावत ने बताया कि फेफड़ों के कैंसर का प्रमुख कारण धूम्रपान है, जो भारत में इस बीमारी के 80% मामलों के लिए जिम्मेदार है। वायु प्रदूषण, विषैले रसायनों के संपर्क, और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली भी इसके अन्य कारण हैं। उन्होंने स्वस्थ आहार, धूम्रपान से बचाव, और स्वच्छ पर्यावरण को अपनाने पर जोर दिया।
निदान और उपचार : डॉ. सहरावत ने बताया कि फेफड़ों के कैंसर का निदान शुरुआती लक्षणों की अस्पष्टता के कारण चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके लिए इमेजिंग और बायोप्सी जैसी आधुनिक तकनीकों की आवश्यकता होती है। उन्होंने यह भी कहा कि उपचार के लिए पल्मोनोलॉजिस्ट, ऑन्कोलॉजिस्ट और सर्जन की बहु-विषयक टीम की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
जागरूकता और मिथकों पर बल : कार्यक्रम का मुख्य संदेश “क्लोज द केयर गैप” था, जो कैंसर से जुड़ी जागरूकता और शुरुआती निदान के महत्व को रेखांकित करता है। डॉ. सहरावत ने फेफड़ों के कैंसर से जुड़े मिथकों को दूर करने और सही जानकारी फैलाने पर जोर दिया। संगोष्ठी में विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) गुलशन कुमार ढींगरा ने कहा कि यह कार्यक्रम न केवल चिकित्सकीय पहलुओं को समझाने का मंच बना, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने का प्रेरणा स्रोत भी सिद्ध हुआ।
इस अवसर पर एम्स ऋषिकेश के अंकित तिवारी, एमएसएन ऑन्कोलॉजी से रीमा गुप्ता, प्रशांत शर्मा, योगंबर सिंह, विश्वविद्यालय परिसर से डॉ. शालिनी कोटियाल, डॉ. बिंदु, डॉ. अर्जुन पालीवाल, देवेंद्र भट्ट, और निशांत बटला सहित माइक्रोबायोलॉजी, मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, बीएससी,जूलॉजी के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. साफिया हसन ने किया। यह संगोष्ठी फेफड़ों के कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने और समाज में इस रोग के खिलाफ सामूहिक प्रयास करने की प्रेरणा देने में सफल रही।