बाल कहानी : विधार्थियों का सम्मान

सुनील कुमार माथुर
नरेश , गोपाल , सुनील , चेतन व चांद मोहम्मद रविवार की छुट्टी होने के कारण मैदान में खेल रहे थे कि तभी उनकी निगाह चोरों पर पडी । पहले तो वे काफी देर तक देखते रहें फिर उन से रहा नहीं गया । सभी ने मिलकर चोरों को पकडने की योजना बनाई लेकिन डर के मारे वे उस पर अमल नहीं कर पायें ।
तभी सुनील का ध्यान अपने मोबाइल पर गया । वह तुरन्त झाडियों के पीछे गया और अपने दोस्त राजेन्द्र कुमार को फोन किया चूंकि राजेन्द्र के पिता पुलिस में नौकरी करते हैं सुनील ने राजेन्द्र को सारी बात बता दी । राजेन्द्र ने तत्काल अपने पिता को फोन कर सारी घटना से अवगत करा दिया ।
पुलिस ने बच्चों की सूचना पर तुरंत कार्यवाही करते हुए चोरों को रंगे हाथों घटना स्थल पर ही पकड लिया और फिर चोरों को पकड कर धाने लायी । सतर्कता के चलते चोरों को समय पर पकडने से बडी चोरी होने से बच गयी । पुलिस-प्रशासन व पुलिस कमिशनर भी थाने पहुंच गये और बच्चों की सूझबूझ एवं पुलिस कांस्टेबलों ध्दारा तत्काल कार्यवाही कर चोरों को पकडने के लिए कांस्टेबलों व विधार्थियों को प्रशस्ति पत्र व नगद रिवाॅर्ड से उन्हें सम्मानित किया ।
शहर के दूसरे दिन के समाचार पत्रों में बच्चों की सूझबूझ से शहर मे एक बडी चोरी होने बच गयी शीर्षक से समाचार समाचार पत्रों में सुर्खियां से प्रकाशित हुआ और बच्चों की सूझबूझ की चर्चा सर्वत्र हो रही थी।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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