बाल कविता : कर्मवीर बन

इस समाचार को सुनें...

बाल कविता : कर्मवीर बन, हर पल नया कुछ सीखने की, हर मन में ललक संचार हो। जय ज्ञान कर विज्ञान कर, हर गुण का फिर भंडार हो। कठिन डगर पर चलने को, बनकर वीर तुम तैयार हो। भय को मिटाते चलता चल, तब कर्मवीर की जयकार हो। #भुवन बिष्ट, मौना, रानीखेत (उत्तराखंड)

चल अडिग होकर ही पथ पर,
तब मंजिल निकट ही आयेगी।
तेरा हौंसला देखे जो विपदा,
खुद ही वह मिट जायेगी।

नव सोच मन में हो उमंग,
भर देंगें हम अच्छाई के रंग।
भारत भूमि की समृद्धि में,
हर कदम कदम चलेंगें संग।

अब प्रयास कर फिर आश कर,
तब मेहनत सदा रंग लायेगी।
तेरा हौंसला देखे जो विपदा,
खुद ही वह मिट जायेगी।….

हर पल नया कुछ सीखने की,
हर मन में ललक संचार हो।
जय ज्ञान कर विज्ञान कर,
हर गुण का फिर भंडार हो।
कठिन डगर पर चलने को,
बनकर वीर तुम तैयार हो।

भय को मिटाते चलता चल,
तब कर्मवीर की जयकार हो।
हाथ बढ़ाते साथी चलते रहना,
हर राह आसान बन जायेगी।
तेरा हौंसला देखे जो विपदा,
खुद ही वह मिट जायेगी।….



चल अडिग होकर ही पथ पर,
तब मंजिल निकट ही आयेगी।


👉 देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है। अपने शब्दों में देवभूमि समाचार से संबंधित अपनी टिप्पणी दें एवं 1, 2, 3, 4, 5 स्टार से रैंकिंग करें।

बाल कविता : कर्मवीर बन, हर पल नया कुछ सीखने की, हर मन में ललक संचार हो। जय ज्ञान कर विज्ञान कर, हर गुण का फिर भंडार हो। कठिन डगर पर चलने को, बनकर वीर तुम तैयार हो। भय को मिटाते चलता चल, तब कर्मवीर की जयकार हो। #भुवन बिष्ट, मौना, रानीखेत (उत्तराखंड)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Devbhoomi Samachar
Verified by MonsterInsights