बाल कहानी : इंसानियत का रिश्ता

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बाल कहानी : इंसानियत का रिश्ता, जिसके कारण ही गुरू व शिष्य के रिश्ते आज भी प्रगाढ़ हैं। निर्मला के माता-पिता ने अध्यापिका सपना को गले लगा लिया और कहा कि आपने निर्मला के प्राण बचा कर इसे एक नया जीवन प्रदान किया हैं…  #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

अध्यापिका कल्पना व सपना के व्यवहार और पढाने के तरीके से स्कूल के सभी छात्र-छात्राएं खुश थे। स्कूल की छात्रा निर्मला काफी दिनों से स्कूल नहीं आ रही थी। एक दिन अध्यापिका सपना ने बच्चों से पूछा कि बच्चों निर्मला काफी दिनों से स्कूल नहीं आ रही हैं सो क्या बात है।

बच्चों ने कहा कि मैडम वह लम्बे समय से बीमार है और उसका बचपाना अब मुश्किल है चूंकि उसका लिवर खराब हो गया है और दूसरे लिवर की व्यवस्था हो नहीं पा रही हैं। यह सुनकर सपना हक्की-बक्की रह गई। चूंकि निर्मला स्कूल की प्रतिभावान छात्र-छात्राओं में से एक विधार्थी है।

अध्यापिका सपना स्कूल से सीधी अस्पताल गयी और डॉक्टर आरुषि से बोली, डाक्टर आरूषि, मैं अपना लिवर देने को तैयार हूं। बस आप निर्मला को बचा लिजिए। डाक्टर आरूषि ने सपना से पूछा कि आपका निर्मला से क्या रिश्ता है।

इस पर अध्यापिका सपना ने कहा कि मेरा निर्मला से खून का रिश्ता तो नहीं है, फिर भी इंसानियत का रिश्ता है जिसकी वजह से मैं उसे अपना लिवर देना चाहती हूं। तमाम जांचों के बाद सपना ने डाक्टर ध्दारा दिये गये घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। नियत समय पर आपरेशन हुआ और निर्मला को लिवर मिल गया।

आपरेशन के बाद दोनों का स्वास्थ्य ठीक पाकर डाक्टरों की टीम व नर्सिंग स्टाफ ने सपना व निर्मला को बधाई देते हुए उनके स्वास्थ्य लाभ की कामना की और ईश्वर से प्रार्थना की कि इनका स्वास्थ्य सदैव अच्छा बना रहे। जब दूसरे दिन समाचार पत्रों में गुरू का अपने शिष्य के प्रति इंसानियत का रिश्ता शीर्षक से खबर प्रकाशित हुई तो सभी ने अध्यापिका सपना के इस रिश्ते की सराहना करते हुए कहा कि इंसानियत आज भी जिंदा है।



जिसके कारण ही गुरू व शिष्य के रिश्ते आज भी प्रगाढ़ हैं। निर्मला के माता-पिता ने अध्यापिका सपना को गले लगा लिया और कहा कि आपने निर्मला के प्राण बचा कर इसे एक नया जीवन प्रदान किया हैं और आपके त्याग ने यह साबित कर दिया कि इस धरती पर भी देवता रूपी इंसान निवास करते हैं जो संकट की घडी में देवदूत बनकर प्रकट होते हैं।




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बाल कहानी : इंसानियत का रिश्ता, जिसके कारण ही गुरू व शिष्य के रिश्ते आज भी प्रगाढ़ हैं। निर्मला के माता-पिता ने अध्यापिका सपना को गले लगा लिया और कहा कि आपने निर्मला के प्राण बचा कर इसे एक नया जीवन प्रदान किया हैं... सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)

2 Comments

  1. वर्तमान परिवेश में गुरु – शिष्य परम्परा , संस्कृति व रिश्ता एक चुनौती पूर्ण दौर में है । इंसानियत भी शर्मसार हो रही है । ऐसे में यह कहानी एक सच्चे मन से शिक्षाप्रद रुप से लिखी गई है । आजकल इस प्रकार की कोशिश बहुत कम होती है । कहानीकार बहुत बहुत बधाई के पात्र हैं ।

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