बाल कहानी : जेवर और तेवर

बाल कहानी : जेवर और तेवर, आपके तेवर आग में घी डालने के समान हैं। अतः जीवन में प्रेम, स्नेह, नम्रता, विनम्रता, संयम व सहनशीलता को धारण कर आनंदमय जीवन जीए और दूसरों को भी ऐसे ही जीने दें। # सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
रविवार का दिन था। बच्चे मैदान में खेल रहे थे। खेल के दौरान ही किसी बात को लेकर संजय और चेतन में झगडा हो गया। बात इतनी बढ गयी कि वे दोनों हाथापाई करने लगे। देखते ही देखते मैदान में भीड जमा हो गयी। हर कोई झगडे का आनंद ले रहा था, मगर उन्हें लडने से कोई नहीं रोक रहा था।
तभी उधर से एक संत महात्मा निकलें। उन्होंने मैदान में भीड देखी तो उधर चल पडे। बच्चों को लडते हुए देख वे बोले , बच्चों छुट्टी का दिन मौज मस्ती का दिन होता है न कि लडने और झगडने का उन्होंने बच्चों को और वहां उपस्थित भीड से बोले कि जेवर और तेवर हर जगह नहीं दिखाए जाते हैं। अति आवश्यक परिस्थिति में ही दिखाये जाते हैं।
उन्होंने कहा कि मित्रता दूध और पानी जैसी होनी चाहिए। पानी को दूध में मिला देने पर वह पानी कि कीमत बढा देता हैं और जब दूध बर्तन में से उफनने लगता हैं तो पानी की चंद बूंदे उसमे डालने से वह उस उफान को शांत कर देती हैं। ठीक उसी प्रकार बच्चों को झगडे से दूर रहना चाहिए व बात बात में हर जगह अपने तेवर नहीं दिखाने चाहिए।
आपके तेवर आग में घी डालने के समान हैं। अतः जीवन में प्रेम, स्नेह, नम्रता, विनम्रता, संयम व सहनशीलता को धारण कर आनंदमय जीवन जीए और दूसरों को भी ऐसे ही जीने दें। संत महात्मा की बात सुन दोनों ने एक दूसरे को गले लगा लिया और भविष्य में कभी भी किसी से झगडा न करने का संकल्प ले, अपने अपने घरों को चले गये।
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