साहित्य लहर

कनेर का पीला फूल

राजीव कुमार झा
इंदुपुर, पोस्ट – बड़हिया, जिला – लखीसराय (बिहार)

गरमी के मौसम में
दरवाजे खिड़कियों को
बंद करके
दोपहर में काफी लोग
सो गए हैं!
बाहर कैसी हवा बह रही!

काफी सवेरे
सब जग गये
सूरज के उगने से पहले
बेहद साफ हवा
बहती दिखाई दे रही
धूप ने फिर
हर आंगन गली
और रास्ते को
चहल पहल से भर दिया!

कनेर का पीला फूल
हरी भरी टहनियों पर
अनगिनत तादाद में खिला
पीपल का पेड़
दोपहर में चुप रहा
शाम का आकाश
शांत हो गया
हवा आधी रात में
बहने लगी

धरती सुबह में
करवट लेकर
जग पड़ी
जिंदगी की गाड़ी
संभलकर
हर तरफ अब चल पड़ी,
रात के बेखौफ रास्तों में
अंधेरा सिमट रहा है!

चांद नदी के पास
आकर!
अकेला ठिठक गया है
बरसात की बारिश के
बाद
सितारे चमक रहे हैं!

सुबह पानी
कुएं की गहराई में समाया
पेड़ की डाल पर
दोपहर में सबने
झुंड में चुप बैठा पाया!

सरहद से बेटे के भेजे
खत को
डाकिया ने
बाहर बैठे उसके पिता को
थमाया,
घर के भीतर जाकर
मां को बताया
केदारनाथ की यात्रा पर
कुछ दिन पहले गया

पड़ोसी
कल लौटकर आया!
बाबा का प्रसाद लाया
गांव के पिंडे पर
धोती गमछा चढ़ाया!

सत्यनारायण भगवान की
कथा
आज पंडितजी ने सबको
सुनाया!
शंख बजाया!
बच्चों के माथे पर
रोली चंदन लगाया
बादल उड़ता आया!

यक्ष ने आषाढ़ का गीत
गाया
कालिदास को सुनाया!

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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