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राष्ट्रीय समाचार

संसद में 30 मिनट तक चली थीं ताबड़तोड़ गोलियां

पूरे घटनाक्रम में पांचों आतंकवादी मार गिराए गए थे। लेकिन आठ सुरक्षा कर्मियों और एक माली की जान भी गई थी। इसके साथ ही 15 लोग घायल भी हुए थे। जांच में सामने आया था कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठनों ने करवाया था।

नई दिल्ली। 22 साल पहले आज ही के दिन संसद पर आतंकी हमला हुआ था। बुधवार को उसी हमले की बरसी के मौके पर संसद में एक और घटना हो गई। यहां लोकसभा में दो लोग सदन के चैंबर में कूद पड़े। शुरुआती जानकारी के मुताबिक दोनों के पास गैस कैनिस्टर भी थे। दो लोग अचानक सदन में कूदे और उसके बाद हवा में पीला धुंआ छा गया। 13 दिसंबर 2001 को भी संसद में सिक्योरिटी ब्रीच हुई थी। तब हथियारबंद आतंकवादियों ने संसद भवन में तबाही मचा दी थी।

इस हमले में नौ सुरक्षा कर्मियों की जान गई थी। ये हमला पाकिस्तान से जुड़े आतंकी संगठन ने करवाया था। अभी उस हमले का जख्म भर नहीं पाया है और आज हुई सुरक्षा में चूक ने उस घाव को फिर से ताजा कर दिया है। फर्क बस इतना है कि तब ऐसा करने वाले पड़ोसी मुल्क से आए आतंकी थे और आज की घटना को अंजाम देने वाले अपने ही देश के लोग थे। इस घटना ने संसद भवन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल तो उठाए ही हैं साथ ही यह भी सोचने पर मजबूर किया है कि अगर लोकतंत्र का मंदिर यानी संसद ही सुरक्षित नहीं है तो आम आदमी कितना होगा।

कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने बताया कि दो लोग अचानक पब्लिक गैलरी से लोकसभा चैंबर में कूद पड़े। इनके हाथ में कैनिस्टर थे जिनसे पीला धुआं निकल रहा था। चिदंबरम ने बताया कि इनमें से एक स्पीकर की कुर्सी की ओर जाने की कोशिश कर रहा था। इसके साथ ही ये लोग कुछ नारे भी लगा रहे थे। कांग्रेस सांसद ने कहा कि यह सुरक्षा का गंभीर उल्लंघन है। इसकी गंभीरता इसलिए और बढ़ जाती है क्योंकि आज ही के दिन 2001 में संसद पर हमला हुआ था।

उल्लेखनीय है कि सदन की विजिटर गैलरी के गेट पर गार्ड भी तैनात थे जहां यह घटना हुई। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि ऐसे कैनिस्टर के साथ ये लोग संसद भवन में प्रवेश कैसे कर पाए। समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने इसे लेकर कहा कि सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने सवाल किया कि वह धुंआ छोड़ने वाले उपकरणों के साथ अंदर कैसे आए? उन्होंने इसे सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी चूक बताया।

13 दिसंबर 2001 की सुबह करीब 11.40 बजे पांच आतंकवादी संसद भवन परिसर में घुस आए थे। वह ऐसी कार में आए थे जिसकी विंडशील्ड पर गृह मंत्रालय का फर्जी स्टिकर लगा हुआ था। शक होने पर कार को वापस जाने के लिए कहा गया था जिसके बाद आतंकी उतरे और खुली गोलीबारी करनी शुरू कर दी थी। उस समय 100 से ज्यादा मंत्री व सांसद संसद भवन में मौजूद थे। यह गोलीबारी 30 मिनट से ज्यादा समय तक चली थी।

पूरे घटनाक्रम में पांचों आतंकवादी मार गिराए गए थे। लेकिन आठ सुरक्षा कर्मियों और एक माली की जान भी गई थी। इसके साथ ही 15 लोग घायल भी हुए थे। जांच में सामने आया था कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठनों ने करवाया था। इस आत्मघाती हमले को अंजाम देने वाले पांचों आतंकी पाकिस्तानी नागरिक थे।


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