दर्शकों के कमेंट्स किसी पुरस्कार से कम नहीं : अंशुल माथुर

दर्शकों के कमेंट्स किसी पुरस्कार से कम नहीं : अंशुल माथुर, कहने का तात्पर्य यह हैं कि एक श्रेष्ठ चित्रकार रबर का भी इस्तेमाल नहीं करते है और अपनी पेंसिल से बिगडे चित्र को भी सुधार देता हैं। उसके भावों की अभिव्यक्ति सकारात्मक चिंतन पर व देश – काल और परिस्थितियों पर आधारित होती हैं। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर (राजस्थान)
अगर आप कुछ करने का जुनून रखते हैं तो हर मुकाम को पा सकते हैं फिर आप अमीर हो या गरीब। छोटे हो या बडे। ग्रामीण क्षेत्र से हो या शहरी क्षेत्र से। बस काम के प्रति ईमानदारी। निष्ठा और समर्पण भाव होना चाहिए। वैसे भी भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं हैं। एक ढूंढो तो हजार प्रतिभावान मिल जायेगी। चूंकि हर व्यक्ति प्रतिभावान है। हुनरबाज हैं लेकिन प्रोत्साहन के अभाव में वे दमतोड रही है। यह उद् गार चित्रकार अंशुल माथुर ने एक साक्षात्कार में व्यक्त किये।
अंशुल माथुर ने कहा कि कहने को तो हर कोई कहता है कि प्रतिभाओं को पूरा सम्मान मिलना चाहिए लेकिन यह बातें अखबारो की सुर्ख़ियां ही बनकर रह जाती है या फिर लच्छेदार भाषणों तक ही सीमित रह जाती हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिभाओं को जो सम्मान हकीकत में मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा है जिससे दिल को ठेस पंहुचती है। सरकार जब जनकल्याण के नाम पर अरबों खरबों खर्च कर रही है तो फिर विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देने वाली प्रतिभाएं मूलभूत सुविधाओं को लेकर तरस रही है।
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यहीं कारण है कि अनेक प्रतिभावान लोग बीच रास्ते से ही अपनी मंजिल का सपना छोड देते हैं। कु0 अंशुल माथुर का कहना है कि वर्तमान के दौर में अपनी प्रतिभा को दिखाने के लिए सोशल मीडिया सबसे उतम जरिया हैं। आप किसी भी क्षेत्र में कुशल व प्रतिभावान है। आप अपनी प्रतिभा ( टेलेंट ) सोशल मीडिया के जरिये दुनियां भर में दिखा सकते हैं और टेलेंट का लोहा मनवा सकते हैं।
संगीत। पेंटिंग। रंगोली। मांडने। फोटोग्राफी में शौक रखने वाली हंसमुख स्वभाव वाली कु ० अंशुल माथुर का कहना है कि इंसान में प्रतिभा कूट कूट कर भरी हुई हैं लेकिन परिवार। समाज व राष्ट्र की ओर से हुनरबाजों व नाना प्रकार की प्रतिभाओं को आज सम्मान और प्रोत्साहन नहीं मिल रहा हैं जिसके अभाव में प्रतिभा कुंठित जीवन व्यतीत कर रही है।
कु0 अंशुल माथुर ने गणेशजी। लक्ष्मीजी के सुंदर सुंदर चित्र बनाकर चित्रकारिता के क्षेत्र में समाज मे एक नई पहचान बनाई है। अंशुल का कहना है कि हुनर बाजार में बिकने वाली चीज नहीं है अपितु इसे तो तरासा जाता हैं। यही वजह है कि प्रतिभा शाली लोग पुरस्कारों के पीछे नहीं भागते है अपितु पुरस्कार उनके पीछे दौडते हैं। उनका कहना है कि चित्रकार के हाथों में सरस्वती का वास होता है जो पेंसिल व रंगों के रुप में दिखाई देता है।
कहने का तात्पर्य यह हैं कि एक श्रेष्ठ चित्रकार रबर का भी इस्तेमाल नहीं करते है और अपनी पेंसिल से बिगडे चित्र को भी सुधार देता हैं। उसके भावों की अभिव्यक्ति सकारात्मक चिंतन पर व देश – काल और परिस्थितियों पर आधारित होती हैं। यही वजह है कि आज भी लोग चित्रकारों को सम्मान की दृष्टि से देखते हैं एवं उनकी कला को सलाम करते है। वही दूसरी ओर चित्रकार स्वंय कला को समर्पित रहता है।
यही वजह है कि उसके ध्दारा बनायें हुए चित्र स्वंय बोलते हैं। उसे देखने वालों को समझाने की जरुरत नहीं पडती हैं। वे कहती हैं कि एक श्रेष्ठ चित्रकार वही है जो समाज को अपने चित्रों के साथ एक नई सोच व नई दशा और दिशा दे सकें और राष्ट्र की मुख्यधारा से कटे हुए लोगों को सही राह दिखा सके। वे कहती हैं कि विधार्थियों को शिक्षा के साथ ही साथ अपनी हाॅबी को भी आगे बढाना चाहिए।
अंशुल ने बताया कि दर्शकों को कलाकार की कला पर राय अवश्य व्यक्त करनी चाहिए। चूंकि यह राय उनके लिए किसी पुरस्कार से कम नहीं हैं। चूंकि दर्शकों के कमेंट्स कलाकारों को एक नई दिशा प्रदान करते हैं। इतना ही नहीं ये कमेंट्स कलाकारों का मार्गदर्शन करते हैं और उन्हें अपनी मंजिल तक पहुंचने में सहायक सिद्ध होते हैं।
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