बदलते समय में भी कम नहीं हुआ साइकिल का महत्व

बदलते समय में भी कम नहीं हुआ साइकिल का महत्व… साइकिल चलाना कोई शर्म की बात नहीं है। आज अनेक लोग घुटने दुखने पर एवं तोंद आने पर जीम मे जाकर साइकिल चलाते है। सवेरे-सवेरे साइकिल पर घूमने जाते है। इनमें क ई अफसर व धन दौलत वाले सेठ लोग भी होते है। #सुनील कुमार माथुर जोधपुर
पहले एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए जो साधन थे उनमें साइकिल का प्रमुख स्थान था। इसके अलावा बैलगाड़ी, घोड़ागाड़ी, खच्चर हुआ करते थे। लेकिन आज हर घर में नाना प्रकार के वाहन व अन्य अनेक सुविधाएं हो गई है। पहले तो साइकिल भी हर घर में नहीं होती थी। कहीं जाना होता था तो या तो पडौसी या मित्र से मांग कर ले जाते थे या फिर किराये पर लाते थे।
साइकिल का जीवन में अपना ही महत्व है लेकिन धन दौलत की चकाचौंध में हम इतने अंधे हो गए कि इसका महत्व ही भूल गये और आज इसे चलाने वाले को हेय दृष्टि से देखा जाता है जो उचित नहीं है। आज धनी लोगों का कहना है कि साइकिल चलाई तो पैर और गोडे दुखने लगे। तब दुपहिया वाहन लिया। टूटी सडको पर दुपहिया वाहन चलाया तो कमर में दर्द होने लगा।
तब कार खरीदी। कार चलाने लगे तो फिर पेट बढने लगा। डॉक्टर को दिखाया तो उसने साइक्लिंग करने की सलाह दी और अब फिर से साइकिल चलानी पड रही है। साइकिल का अपना महत्व है। इसे चलाने से पूरे शरीर का व्यायाम होता। व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है। इसी के साथ अनुशासन में रहना सीखता है।
साइकिल चलाना कोई शर्म की बात नहीं है। आज अनेक लोग घुटने दुखने पर एवं तोंद आने पर जीम मे जाकर साइकिल चलाते है। सवेरे-सवेरे साइकिल पर घूमने जाते है। इनमें क ई अफसर व धन दौलत वाले सेठ लोग भी होते है। अतः साइकिल के महत्व को समझे और इसे जीवन का अभिन्न अंग बनाये।
इसका मतलब यह नहीं है कि हम कार स्कूटर का विरोध कर रहे है। उनका भी अपना महत्व है और कहीं लम्बी दूरी पर जाना हो तो इनका इस्तेमाल अवश्य कीजिए। इसमें कोई दो राय नहीं है। साइकिल है तो स्वस्थ शरीर है। शान शौकत के चक्कर में अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ न करें।
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