आधारशिला साहित्यिक संस्था ने किया कवि सम्मेलन का आयोजन

अंनत शर्मा ‘अंनत’ ने युगों-युगों से अंधी इक भेड़ हूं मैं, मेरी कोई आंखें नहीं, जो मैं देख सकूं कविता सुनाई। गौतम ने छह फलक नाप कर चले आए, सातवां आसमां हमारा दिल पेश की। करन सहर ने अव्वल तो ढूंढना है मुझे अपने आपको, ऐसी न धुन बजा कि तुझे ढूंढता फिरूं प्रस्तुत की।
चंडीगढ़। आधारशिला साहित्यिक संस्था ने पंजाब कला भवन सेक्टर-16 में गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य पर एक कवि सम्मेलन और मुशायरे का आयोजन किया। सर्वप्रथम साहित्यिक पत्रिका आधारशिला साहित्यम के चौथे वर्ष में प्रवेश करने पर पत्रिका के संपादक अशोक अग्रवाल ‘नूर’ एवं प्रकाशक अनिता सुरभि ने पत्रिका के बारे में अपने विचार रखें।
इस मौके पर पत्रिका के दसवें अंक गजल विशेषांक का विमोचन किया गया। उसके बाद हुए कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में ट्राइसिटी के कवियों के साथ यमुनानगर, जगाधरी एवं अंबाला से आएं कवियों वं शायरों ने अपनी रचनाएं पेश की। अनिता सुरभि ने यादों के गांव की हर पगडंडी पर… पेश की।
इसके बाद हर्ष कुमार चोपड़ा ने भ्रमित किया, हमको समृद्धि के अफसानों मे, दुख ही ज्यादा बांटे सब सुख के सामानों ने पेश कर तालियां बटोरीं। दर्शन टिवाणा ने रिंदों की महफिल में साकी भी आ गए, इक जाम ए-मोहब्बत सबको पिला गए… पर वाहवाही लूटी। अशोक अग्रवाल ‘नूर’ ने कि अक्सरियत इसी को मानती है जिंदगी अब, हवा में जहर जो है, इसको अब आदत बना लो… प्रस्तुत की।
सत्यवती आचार्य ने गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस कवि सम्मेलन में,देश के प्रति जागृत होने तथा देशप्रेम का सन्देश देते हुए कविता ” उठो-उठो मनुष्य,जाग जाओ तुम” तथा “अच्छे दिन आए जाग, राम घर आये हैं” कविताएँ सुनाकर तालियाँ बँटोरीl अंनत शर्मा ‘अंनत’ ने युगों-युगों से अंधी इक भेड़ हूं मैं, मेरी कोई आंखें नहीं, जो मैं देख सकूं कविता सुनाई।
गौतम ने छह फलक नाप कर चले आए, सातवां आसमां हमारा दिल पेश की। करन सहर ने अव्वल तो ढूंढना है मुझे अपने आपको, ऐसी न धुन बजा कि तुझे ढूंढता फिरूं प्रस्तुत की। मयंक नारी ने पेड़ों पर दिल बना रहे हो, क्या पेड़ों के दिल नहीं होता… पेश कर पर्यावरण के प्रति चिंता व्यक्त की। इसके अलावा दीर्घा, सागर, गुरनाम सैनी, तिलक सेठी, नवीन गुप्ता नवी, शीनू वालिया, संजीव चौहान ने भी अपनी रचनाएं सुना कर खूब वाहवाही लूटी।