अनमोल तोहफा
अनमोल तोहफा… तभी गंगामया ट्रेवल्स की उस बस के कंडक्टर का फोन उस यात्री के पास आया जिसका उस बस में रिजर्वेशन था। तब उस यात्री ने अपनी तकलीफ उसे बताई। उस कंडक्टर ने इस बस के कंडक्टर से बात कर कहा कि भूल से आपकी बस में बैठ गया और इसका रिजर्वेशन कराया हुआ है। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
सहयोग करना एक अनमोल तोहफा है जो देने में भी अच्छा लगता है और मिल जाये तो भी अच्छा लगता है। किसी महापुरुष ने ठीक ही कहा है कि छोटी बात पर खुश होना बचपन में सीखा था, लेकिन बडी बात पर खामोश रहना वक्त ने सीखा दिया। हम प्रायः यह देखते है कि लोग दूसरों की मदद करना तो दूर रहा पर दूसरों का मजाक उडाने में आनन्द खूब लेते है। शायद उस वक्त वे यह भूल जाते है कि जब हमारी यह स्थिति होगी तब हम पर कैसी बितेगी।
मै एक बार बस में सफर कर रहा था। उसी बस में सवेरे-सवेरे एक यात्री चढा। बस चल पडी। आधे घंटे बाद कंडक्टर ने पैसे मांगे तो उस यात्री ने आनलाइन टिकट जो मोबाइल में था वह दिखा दिया। बस कंडक्टर व बस चालक ने उसे सवेरे-सवेरे खरी खोटी सुना दी। यात्री बोला कि मैं तो गंगामया ट्रेवल्स देख कर बस में चढ़ गया और मेरा तो रिजर्वेशन है। लेकिन कंडक्टर ने एक बार तो उससे किराया वसूल लिया।
तभी गंगामया ट्रेवल्स की उस बस के कंडक्टर का फोन उस यात्री के पास आया जिसका उस बस में रिजर्वेशन था। तब उस यात्री ने अपनी तकलीफ उसे बताई। उस कंडक्टर ने इस बस के कंडक्टर से बात कर कहा कि भूल से आपकी बस में बैठ गया और इसका रिजर्वेशन कराया हुआ है। अतः इससे किराया भाडा मत लेना और सुरक्षित इसके गणंतव्य स्थल पर उतार देना।
एक ही ट्रेवल्स एजेंसी की बस होने से कंडक्टर ने यात्री से लिया भाडा पुनः लौटा दिया और उसे सुरक्षित उसके गणंतव्य स्थल पर उतार दिया। कंडक्टर के तनिक सहयोग से उस यात्री को एक अनमोल तोहफा मिल गया। गलत बस में बैठने के बाद भी उसका किराया भाडा बच गया। कहने का तात्पर्य यह है कि जहां परोपकार की भावना हो वहां हर कठिन कार्य भी आसान हो जाता है। बस मदद का भाव मन में होना चाहिए।
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