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जीवन का कल्याण

जीवन का कल्याण, कहने का तात्पर्य यह हैं कि जीवन को खुशहाल व भक्तिमय बनाता हैं। तभी तो कहा जाता हैं कि भक्ति में ही शक्ति है। भक्ति हो तो मीरां बाई जैसी। जोधपुर (राजस्थान) से सुनील कुमार माथुर की कलम से…

हम आज सभ्य समाज में रहने का दंभ भरते हैं। इसलिए समाज में अच्छे – बुरे का अंतर करना सीखे चूंकि गलत रास्तों पर चलकर आप अपने लिए ही नर्क का रास्ता खोल रहे हैं। बेईमानी से कमाया गया धन वापस गलत रास्ते से ही जाता हैं। भले ही वह तनिक भौतिक सुख दे दे। अन्यथा शराब, जुआ, वैश्या गमन, बीमारी, चोरी या अन्य गलत रास्ते से चला जाता है। न जानें कब लखपति से रोडपति बन जाये।

अतः हर वक्त हाय धन हाय धन न करे अपितु प्रभु के नाम का भी स्मरण करें और जीवन को आनंदमय बनाये। भक्ति में लीन रहें न कि शराब या नशीलें पदार्थ का सेवन करें। नशा हमेंशा नाश ही करता हैं। अगर नशा करना ही हैं तो ईश्वर की भक्ति का नशा करें। प्रभु के नाम का नशा करने से सदैव कल्याण ही होता हैं। यह नशा न केवल हमारे जीवन को ही संवारता है अपितु परिवार को स्वर्गमय भी बनाता हैं संबंधों में प्रगाढता लाता हैं।

कहने का तात्पर्य यह हैं कि जीवन को खुशहाल व भक्तिमय बनाता हैं। तभी तो कहा जाता हैं कि भक्ति में ही शक्ति है। भक्ति हो तो मीरां बाई जैसी। जैसे ज्ञान बांटने से बढता है वैसे ही भक्ति करने से वह बढती हैं। वह हमारे जीवन को चंदन की भांति खुशबूमय बनाती है और हमारे चेहरे पर तेज लाती हैं विकारों का विनाश करती है व हाय धन हाय धन से मुक्ति दिलाती हैं। जहां भक्ति है वहां राग – ध्देष, नफरत, घृणा व अंहकार नहीं है और जहां यह अवगुण है वहां भक्ति नहीं हैं।

भक्ति में तो प्रेम का सागर उमड़ता है। भक्ति को तो एक सच्चा भक्त ही महसूस कर सकता हैं। भक्ति के वक्त मन में एकाग्रता होनी चाहिए। बिना मन के प्रभु के नाम की माला फेरने से कोई भी लाभ होने वाला नहीं हैं। हीन भावना हमारे मन व मस्तिष्क को बिहार व कमजोर करती है। जबकि बडी सोच व सकारात्मक सोच हमें ऊंचाइयों तक पहुंचाती हैं। जन्म होना व मृत्यु को प्राप्त होना ईश्वर के हाथ की बात है लेकिन इन दोनों के बीच का समय प्रेम पूर्वक जीना तो हमारे हाथ की बात हैं।

किसी को मानों तो वो बहुत कुछ है अन्यथा देवता की प्रतिमा भी पत्थर के समान है। ईश्वर के प्रति मन में दया का भाव नहीं होना चाहिए अपितु देवत्व का भाव होना चाहिए। सेवा करें, साधना करें। इसी से जीवन का कल्याण होगा।

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जीवन का कल्याण, जोधपुर (राजस्थान) से सुनील कुमार माथुर की कलम से... कहने का तात्पर्य यह हैं कि जीवन को खुशहाल व भक्तिमय बनाता हैं। तभी तो कहा जाता हैं कि भक्ति में ही शक्ति है। भक्ति हो तो मीरां बाई जैसी।

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