उत्तराखण्ड समाचार

जोशीमठ आपदा पर वाडिया संस्थान की रिपोर्ट में खुलासा

जोशीमठ आपदा पर वाडिया संस्थान की रिपोर्ट में खुलासा, रिपोर्ट कहती है कि यहां जल निकासी की भी उचित व्यवस्था नहीं है। घरों और व्यावसायिक भवनों से निकलने वाला पानी भी जमीन में समा रहा था, जो जोशीमठ की जमीन को लगातार ढीला करने का काम कर रहा था।

देहरादून। वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान ने जोशीमठ में 11 सीस्मिक स्टेशन स्थापित किए हैं। ये स्टेशन ब्रॉडबैंड के माध्यम से देहरादून स्थित संस्थान में स्थापित कंट्रोल रूप को रियल टाइम जानकारी भेजते हैं। यह स्टेशन एक मैग्नीट्यूड तक के सूक्ष्म भूकंप तक को रिकॉर्ड करने में सक्षम है। सीस्मिक स्टेशनों से प्राप्त डाटा के आधार पर संस्थान इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया है कि जोशीमठ भूधंसाव में भूकंप की भूमिका नहीं थी।

संस्थान के निदेशक डॉ. कालाचंद साईं ने बताया, अध्ययन रिपोर्ट में संस्थान के विज्ञानियों ने 13 जनवरी से 12 अप्रैल के बीच आए भूकंपों को रिकॉर्ड किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस अवधि में जोशीमठ के 50 किमी के दायरे में 1.5 मैग्नीट्यूड के 16 बार भूकंप रिकॉर्ड किए गए। इसे विज्ञानियों ने इस भूकंपीय जोन के लिहाज से सामान्य माना है।

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 1999 में चमोली जिले में जो 6.6 मैग्नीट्यूड का भूकंप आया था, उसका केंद्र जोशीमठ के दक्षिण में था। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान और अतीत की भूकंपीय गतिविधियों में दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम में बढ़ती भूकंपीयता की समान प्रवृत्ति है, जो मुख्य रूप से चमोली भूकंप के केंद्र के आसपास केंद्रित है।

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डॉ. साईं का कहना है कि भूमि खिसकने और दरारें पड़ने का मुख्य कारण जोशीमठ के ऊंचे ढलान पर जल विज्ञान या भूजल असंतुलन सामने आया है। मनोहर बाग क्षेत्र में पांच मीटर से 30 मीटर गहराई तक फैले जल संतृप्त क्षेत्र दर्शाते हैं कि यहां जमीन के भीतर पानी की उपस्थित ने भूमि क्षरण में बड़ी भूमिका निभाई। ढलान से नीचे कई नाले बह रहे हैं, जिनसे पानी भूमिगत रूप से रिसने में सक्षम रहा होगा।

रिपोर्ट कहती है कि यहां जल निकासी की भी उचित व्यवस्था नहीं है। घरों और व्यावसायिक भवनों से निकलने वाला पानी भी जमीन में समा रहा था, जो जोशीमठ की जमीन को लगातार ढीला करने का काम कर रहा था। डॉ. साईं के अनुसार, सिस्मोग्राफ ने अध्ययन अवधि में सबसे बड़ा भूकंप 24 जनवरी 2023 को 5.4 मैग्नीट्यूट का रिकॉर्ड किया।

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हालांकि, इसका केंद्र जोशीमठ से 100 किमी नेपाल के पश्चिमी भाग में पाया गया। उन्होंने बताया कि भविष्य में यहां बड़े भूकंपों से इन्कार नहीं किया जा सकता, लेकिन जोशीमठ की हालिया घटनाओं में भूकंप की कोई भूमिका नहीं थी। वाडिया की रिपोर्ट का गहनता से अध्ययन करने के बाद भूविज्ञानी डॉ. एके बियानी का कहना है कि जोशीमठ में सेटेलाइट से क्षेत्र की निगरानी और भूवैज्ञानिक अध्ययन करने की जरूरत है। वाडिया की रिपोर्ट में बहुत से उद्देश्यों के नतीजों का रिपोर्ट में समावेश होना जरूरी है।


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जोशीमठ आपदा पर वाडिया संस्थान की रिपोर्ट में खुलासा, रिपोर्ट कहती है कि यहां जल निकासी की भी उचित व्यवस्था नहीं है। घरों और व्यावसायिक भवनों से निकलने वाला पानी भी जमीन में समा रहा था, जो जोशीमठ की जमीन को लगातार ढीला करने का काम कर रहा था।

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