कविता : भारत के तीन फूल

भारत के तीन फूल… बरसों रहा भारत, गुलामी की जंजीरों में। खून के आंसू बहाए हैं, बड़े-बड़े सूरमाओं ने आजादी के लिए अपने प्राण गंवाए हैं। दुश्मन को अनदेखा ना करें सतर्कता जरूरी है। न जाने कब यह डाल दे… ✍️ राही शर्मा
भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव,
भारत की आजादी के लिए
शहीद हुए थे ये तीन फूल।
खूब धूल चटाई थी अंग्रेजों को
हंसते हुए फांसी पर चढ़ गए थे
थे तीनों झूल।
हम कभी न पायेंगे भूल
ये मेरे भारत के तीन फूल।।
ये भारत के लाडले इंकलाब
जिंदाबाद का नारा लगाते थे।
छोटे-बड़े हर युवा दिलों में
मातृभूमि के लिए प्रेम रस
जगाते थे।
अंग्रेजी हुकूमत ने खूब चुभाए थे
इनके हृदय में शूल।
हम कभी ना पाएंगे भूल
ये मेरे भारत के तीन फूल।।
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ये भारत के दीवाने
सारे सुख छोड़ निकले थे।
घर से मस्ताने।
इन्हें अंग्रेजी हुकूमत
सुहाती नहीं थी।
अपनी मातृभूमि को
देख बंधनों में।
इनके खून में उबाल आती थी
इनके नजरों ने पहचान लिया था।
ए गोरे हैं पेड़ बबूल।
ये मेरे भारत के तीन फूल।।
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बरसों रहा भारत
गुलामी की जंजीरों में।
खून के आंसू बहाए हैं
बड़े-बड़े सूरमाओं ने
आजादी के लिए
अपने प्राण गंवाए हैं।
दुश्मन को अनदेखा
ना करें सतर्कता जरूरी है।
न जाने कब यह डाल दे
हमारी आंखों में धूल।
ये मेरे भारत के तीन फूल।।
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तीनों योद्धाओं की कुर्बानी
बेकार नहीं जाएंगे।
जब तक रहेगी सृष्टि
जन-जन इनके गुण गाएंगे।
ये तेज पुंज हमें जगाने
आए थे।
ज्योति मार्ग दिखाने आए थे
थे यह भारत के मजबूत चट्टान
मजबूत पुल।
ये मेरे भारत के तीन फूल।
हम कभी ना पाएंगे भूल
ये मेरे भारत के तीन फूल।।
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