कंटीली राह

सुनील कुमार माथुर
इस नश्वर संसार में जीवन की राह बडी ही कंटीली है आप सौ काम अच्छे कर दीजिये , लेकिन आपको शाबाशी देने वाला कोई नहीं हैं । मगर आपके सही काम करते – करते भी किसी वजह से काम बिगड जाये या समय पर पूरा न हो पाये तो आपकों सुनाने वाले हजार लोग है।
आज के इस कलयुग में हर कोई कंटीली राह पर चल रहा है । कहते हैं कि कोई तुम्हारे मार्ग में कांटे बोए तो तुम उनके मार्ग में फूल बिछाओ। चूंकि कांटे बिछाने वाला नादान है । उसकी सोच नकारात्मक है उसे अच्छे – बुरे का ज्ञान नहीं है लेकिन तुम तो समझदार हो। तुम्हारी सोच सकारात्मक है । आप भले व नेक इंसान है फिर भला आप कैसे कांटे बिछा सकते है । अगर आप भी कांटे ही बिछाते है तो उसमें व आप में क्या फर्क है । लोग दोनों को ही मूर्ख कहेगे।
आप दूसरों के साथ भला करेगे तो ईश्वर भी आपके साथ भला करेगा । ईश्वर उसी की मदद करता है जो दूसरों की निस्वार्थ भाव से सेवा करता है । मदद करता हैं और जो सभी के हित की सोचते है । तभी तो कहा गया है कि कर भला तो हो भला । व्यक्ति की सोच हर वक्त सकारात्मक होनी चाहिए व मन में समाज के हित में कुछ कर गुजरने की तमन्ना होनी चाहिए।
ईश्वर को कहीं ढूंढने की जरूरत नहीं हैं वह तो हर वक्त आपके साथ है । बस आप तो अपना नेक कर्म करते रहिए व फल की इच्छा न करें । वह तो ( प्रभु ) हमारा पालनहार है और हम जो कुछ भी नेक कर्म कर रहे है वह उसकी कृपा व। आशीर्वाद की वजह से ही कर रहे है अन्यथा हमारी क्या औकात है कि हम दूसरों की मदद कर सके।
हम तो एक माध्यम है बाकी का कृत्य तो वह ( ईश्वर ) स्वंय कर रहा है और हमारे माध्यम से करवा रहा है । अतः जीवन में जब भी कार्य करें तब नेक कार्य ही करें । कंटीली राह को आसान आप स्वंय कीजिये । यही जीवन का सार हैं बस जीवन की राह को आसान बनाते हुए आगे बढते रहिए।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
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From »सुनील कुमार माथुरलेखक एवं कविAddress »33, वर्धमान नगर, शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुआ, पालरोड, जोधपुर (राजस्थान)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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