साहित्य लहर
देश जल रहा, संदेश कड़ा है…
डॉ एम डी सिंह
देश जल रहा संदेश कड़ा है
आदमी मर रहा उद्देश्य बड़ा है
चीख-पुकार हाहाकार हर तरफ
दौड़ रहे खूंख्वार हर तरफ
दुनिया ठगी देश अड़ा है
लड़ो लड़ो डरना मत
हम साथ तुम्हारे
फिक्र कुछ करना मत
हम उसकी टांगे तोड़ेंगे
हम उसका सर फोड़ेंगे
तुम देखने के लिए दोस्त
जिंदा रहना मरना मत
हम कर देंगे उसका होश ठिकाने
हम सब चलेंगे ऐसी चाल
हो जाएगा उसका जोश ठिकाने
वह और क्या कर लेगा
कर देगा तुम्हारे दो चार टुकड़े
बस यही ना
जब हम बैठेंगे गर्दन उसकी
हो जाएगा उसका आक्रोश ठिकाने
देखो तुम्हारे लिए रोने वाला कोई नहीं बचा तो
हम छाती पीट-पीट कर रोएंगे
न हम उसको सोने देंगे ना हम सोएंगे
दुनिया आज देख रही तमाशा
तुमको बनते देख बताशा
भाई तुम अफसोस मत करना
हम दुनिया के तलवों में कांटे बोएंगे
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »डॉ. एम.डी. सिंहलेखक एवं कविAddress »महाराज गंज, गाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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