मानसिक स्वास्थ्य पर ‘सुनो ना’ की पहल
साइकिल से उत्तराखंड की यात्रा कर रहे युवा मेन्टल हेल्थ एक्टिविस्ट ने अब तक हल्द्वानी, भीमताल, भवाली और कैंची धाम में स्कूलों में की बातचीत

हल्द्वानी। “सुनो न कैसे हो ?” – यह सवाल अब पहाड़ों में बच्चों से बार-बार पूछा जा रहा है, लेकिन इस बार जवाब का इंतजार भी किया जा रहा है। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से शुरू की गई ‘सुनो ना’ पहल अब उत्तराखंड में कदम रख चुकी है। इस पहल के तहत हेल्दी नॉट्स (Healthy Knots) संस्था के संस्थापक संतोष कुमार साइकिल से गांव-गांव, स्कूल-स्कूल जाकर छात्रों और युवाओं से संवाद कर रहे हैं।
अब तक हल्द्वानी, भीमताल, भवाली और कैंची धाम जैसे प्रमुख स्थानों में सरकारी और निजी स्कूलों में सत्र आयोजित किए जा चुके हैं। इस दौरान उन्होंने विद्यार्थियों से डिप्रेशन, एंग्जायटी, ओसीडी और आत्महत्या जैसे गंभीर मुद्दों पर सीधे बात की और उन्हें मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के उपाय बताए।
साइकिल पर सवार होकर जागरूकता की ओर – संतोष कुमार ने बताया कि वह ‘सुनो ना’ पहल को लेकर उत्तराखंड की 60 दिन की यात्रा पर निकले हैं। इस दौरान वह हर दिन 20 से 30 किलोमीटर साइकिल चला रहे हैं। रास्ते में हर 2 किलोमीटर पर छोटा विश्राम लेकर न सिर्फ शरीर को राहत दे रहे हैं, बल्कि आसपास के लोगों से संवाद भी बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि, “मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अभी भी बहुत भ्रांतियां हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे कस्बों में। लोग बात करने से डरते हैं, छिपाते हैं, और इसी चुप्पी में दर्द पलता है। मेरा उद्देश्य है कि यह चुप्पी टूटे।”
सरकारी व निजी स्कूलों में खुले संवाद के सत्र – इस पहल के तहत अब तक उन्होंने विभिन्न प्रकार के संस्थानों का दौरा किया है, जिनमें शामिल हैं:
- राजकीय इंटर कॉलेज
- राजकीय बालिका इंटर कॉलेज
- प्राथमिक एवं जूनियर हाईस्कूल
- निजी विद्यालय
हर स्कूल में उन्होंने अलग-अलग आयु वर्ग के छात्रों के साथ बातचीत की। इन सत्रों में बच्चों को यह समझाया गया कि मानसिक स्वास्थ्य कोई शर्म की बात नहीं है, और दुख, तनाव, डर या अकेलापन – ये सब इंसानी भावनाएं हैं, जिन्हें समझने और साझा करने की जरूरत है। कई छात्र-छात्राओं ने अपने व्यक्तिगत अनुभव भी साझा किए और बताया कि उनके मन में भी अक्सर ऐसे सवाल उठते हैं, जिनका जवाब उन्हें स्कूल या घर में नहीं मिल पाता।
‘TheNeuroFlow’ चैनल से Digital Documentation – सुनो ना पहल को केवल संवाद तक सीमित न रखते हुए, संतोष ने इसका डिजिटल विस्तार भी किया है। उन्होंने एक यूट्यूब चैनल शुरू किया है – @TheNeuroFlow. इस चैनल पर वह यात्रा की झलकियाँ, युवाओं के साथ हुई बातचीतें और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े वैज्ञानिक तथ्यों को साझा कर रहे हैं। उन्होंने ‘उत्तराखंड चैप्टर’ नाम से एक प्लेलिस्ट भी शुरू की है, जिसमें यात्रा के दौरान की कहानियां और चुनौतियाँ दर्ज की जा रही हैं।
‘सुनो ना’ को आंदोलन बनाना लक्ष्य – संतोष कुमार ने कहा कि उनकी योजना केवल उत्तराखंड तक सीमित नहीं है। आने वाले महीनों में वह देश के अन्य राज्यों में भी इसी तरह की यात्राएं करेंगे। वह इस पहल को एक राष्ट्रीय आंदोलन में बदलना चाहते हैं, जिसमें स्कूलों, कॉलेजों, पंचायतों, युवाओं, शिक्षकों और अभिभावकों की भागीदारी हो। “हम एक ऐसी पीढ़ी बनाना चाहते हैं जो न केवल मानसिक रूप से मज़बूत हो, बल्कि दूसरों की मन की बात सुनने और समझने में भी सक्षम हो,” उन्होंने कहा।
स्थानीय सहयोग की भी अपील – अपनी यात्रा के दौरान संतोष ने यह भी बताया कि कई जगहों पर उन्हें स्थानीय शिक्षकों, प्रधानाचार्यों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का सहयोग मिला। वह चाहते हैं कि आगे के सफर में और भी लोग इस पहल से जुड़ें। उन्होंने खास तौर पर निवेदन किया कि यदि कोई स्कूल, संस्था या ग्राम पंचायत इस पहल को अपने क्षेत्र में लाना चाहे, तो उनसे संपर्क कर सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर बातचीत की ज़रूरत – भारत में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अभी भी कलंक और डर बना हुआ है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर 4 में से 1 व्यक्ति अपने जीवनकाल में किसी न किसी मानसिक समस्या का सामना करता है, लेकिन उनमें से बहुत कम लोग इलाज या परामर्श तक पहुँच पाते हैं। ‘सुनो ना’ जैसी पहलें इस सामाजिक चुप्पी को तोड़ने का कार्य कर रही हैं।
अगले पड़ाव और भविष्य की योजना – ‘सुनो ना’ पहल फिलहाल कैंची धाम में सक्रिय है, और आने वाले दिनों में यह खैरना, अल्मोड़ा, रानीखेत, पिथौरागढ़, धारचूला और अन्य ग्रामीण इलाकों की ओर बढ़ेगी। योजना के अनुसार यह यात्रा 60 दिनों में पूरी होगी, जिसमें लगभग 1000 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी।
आप कैसे जुड़ सकते हैं? – यदि आप भी इस पहल से जुड़ना चाहते हैं – एक शिक्षक, प्रधान, छात्र या सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में – तो संतोष कुमार से सीधे संपर्क किया जा सकता है।
- यूट्यूब: @TheNeuroFlow
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