साहित्य लहर

कहानी : अगले जन्म मोहे… (भाग – V)

कहानी : अगले जन्म मोहे… अभी कुछ कदम बढ़ी ही थी कि नीलिमा ने उसे रोककर कहा,” बेटा, चाहे तुम कुछ भी फ़ैसला लो ये बात हमेशा याद रखना कि तुम इस घर की बेटी हो और हमेशा रहोगी। ये सच हमारे लिए कोई मायने नहीं रखता”। प्रकाश ने भी हामी भरकर पत्नी की बात का समर्थन किया और मान भी आगे बढ़कर उस से कहा… #गीतिका सक्सेना, मेरठ कैंट, उत्तर प्रदेश

मान सब सुनकर गुस्से से आग बबूला हो रहा था। आज चुप रहना उसके बस की बात नहीं थी। उसने चिल्लाकर कहा, “तो चाची आप ही क्यों नहीं बता देती कि अचानक ये मां बनने का ड्रामा क्यों कर रहीं हैं आप”? मान की गरजती हुई आवाज़ सुनकर रीमा सहम गई लेकिन फ़िर खुद को संभालकर बोली,” मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है इसलिए। मैं प्रताप की तरह कायर नहीं जो गलती समझ आने पर भी चुप रहूं”। इतना सुनते ही मान की हंसी छूट गई और वो बोला,” पैंतीस साल लगे आपको अपनी गलती का एहसास करने में। और हां जिसे आप अपनी बहादुरी कह रही हैं वो और कुछ नहीं आपकी बेशर्मी है। आप पहले भी संवेदनहीन थीं आज भी वही हैं”। मान की बात को नज़रंदाज़ कर रीमा निकिता के पास आई और बोली, “निकी मैं सच कह रही हूं। मुझे अपनी गलती का एहसास है। मैं तुम्हें अपनी बेटी के रूप में अपनाना चाहती हूं “। उसके इतना कहते ही निकिता अपने कमरे की तरफ़ चल दी।

अभी कुछ कदम बढ़ी ही थी कि नीलिमा ने उसे रोककर कहा,” बेटा, चाहे तुम कुछ भी फ़ैसला लो ये बात हमेशा याद रखना कि तुम इस घर की बेटी हो और हमेशा रहोगी। ये सच हमारे लिए कोई मायने नहीं रखता”। प्रकाश ने भी हामी भरकर पत्नी की बात का समर्थन किया और मान भी आगे बढ़कर उस से कहा, “ तू हमेशा ही मेरी प्यारी बहन रहेगी निकी। ये सच स्वीकार करना मेरे लिए भी मुश्किल है लेकिन सच ये भी है कि मुझे इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता। मैं आज भी तेरा भाई हूं। तेरी आंखों में आंसू मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता और जो भी तुझे रुलाएगा मैं उसे सज़ा ज़रूर दूंगा”। बस हां में सिर हिला कर निकिता अपने कमरे में चली गई। उसके जाते ही प्रकाश ने प्रताप से कहा, “ अब तुम दोनों अपने घर जा सकते हो और आज के बाद तुम्हारा और हमारा कोई संबंध नहीं है। रही बात निकिता की तो वो जो भी फ़ैसला लेगी खुद तुम्हें बता देगी। अगर वो तुमसे मिलना चाहेगी मैं उसे कभी नहीं रोकूंगा लेकिन तुम्हारा इस घर से और हम तीनों से अब कोई रिश्ता नहीं है”।

रीमा कुछ कहने को ही थी कि प्रताप ने उसे घूरकर देखा और कहा,” खबरदार अगर अब और कुछ कहा। घर चलो”। इतना कहकर प्रताप ज़बरदस्ती हाथ पकड़कर रीमा को वहां से ले गया। ये पूरा ड्रामा निबटते निबटते रात के तीन बज गए और प्रकाश, नीलिमा और मान तीनों अपने अपने कमरे में चले गए। निकिता अपने कमरे में करवटें बदल रही थी मगर नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थी। मान उसके पास जाना चाहते था मगर प्रकाश ने उसे ये कहकर रोक दिया कि उसे निकिता को थोड़ा समय देना चाहिए। आख़िर करीब पांच बजे निकिता ने अपनी रेंज रोवर की चाबी उठाई और गाड़ी मरीन ड्राइव की तरफ़ दौड़ा दी। प्रकाश और नीलिमा ने उसकी गाड़ी की आवाज़ सुनी थी लेकिन उन्हें अपनी बेटी की समझदारी पर पूरा भरोसा था इसलिए उन्हें कोई चिंता नहीं हुई। लेकिन दो लोगों से सब्र नहीं हो रहा था और वो लगातार उसे फ़ोन मिला रहे थे। वो थे – मान और रीमा। मान क्योंकि उसे निकिता की चिंता हो रही थी और रीमा क्योंकि वो किसी भी कीमत पर निकिता को अपनाना चाहती थी। मगर निकिता किसी से बात नहीं करना चाहती थी इसलिए सबका फोन काट रही थी।

यूं ही दौड़ते दौड़ते पांच से सात बज गए। इन दो घंटों में निकिता ने बचपन से लेकर अभी तक की अपनी ज़िंदगी जैसे दोबारा जी ली। इतनी देर वो केवल प्रकाश, नीलिमा और मान के साथ बिताए वक्त को ही याद करती रही। मगर कुछ सवाल उसके दिमाग़ में लगातार घूम रहे थे। पहला ये कि क्या उसे रीमा को माफ़ कर देना चाहिए? और दूसरा ये कि क्या रीमा का दिल उतना ही साफ़ हो गया है जितना वो दिखा रही है या उसकी कुछ और मंशा है? पसीनों में तर बतर निकिता घर लौटने की सोच ही रही थी कि मान का फ़ोन आ गया। जैसे ही निकिता ने हेलो कहा मान ने सिर्फ़ इतना पूछा कि वो कहां है और जैसे ही निकिता ने जवाब दिया मैरीन ड्राइव उसने फोन काट दिया। अब निकिता वहीं अपनी कार के पास खड़ी हो गई। उसे अपने भाई की आदत पता थी। कुछ ही देर बाद एक बेंटले कार उसकी गाड़ी के पास रुकी और उस में से उतरकर मान ने ड्राइवर को अपनी गाड़ी वापस ले जाने का इशारा किया और आकर निकिता को गले लगा लिया।

“ये क्या हरकत है निकी? घर में सब कितने परेशान हैं, फोन क्यों नहीं उठा रही”? कुछ गुस्सा दिखाते हुए वो बोला। उसका नकली गुस्सा देखकर निकिता के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और उसने कहा, “घर पर कोई परेशान नहीं है भाई सिवाय आपके। मम्मा और डैडी ने मुझे एक भी फोन नहीं किया क्योंकि उन्हें मुझपर भरोसा है। बस एक आप ही फोन पर फोन मिलाए जा रहे हैं”। “तो फ़िर उठा क्यों नहीं रही, मुझे कितनी चिंता हो रही थी”, मान ने पूछा। “अरे भाई आपको “स्पेस” शब्द का मतलब पता है या नहीं ? मैं कुछ समय अकेले रहना चाहती थी। सोचना चाहती थी कि अब क्या करूं और इस सच को स्वीकार करना चाहती थी कि मुझे मम्मा ने जन्म नहीं दिया”। निकिता ने इतना कहा ही था कि मान बोल पड़ा, “इस बात से क्या फ़र्क पड़ता है। तू हमेशा मेरी बहन और मम्मा डैडी की बेटी रहेगी। बहुत हो गया ड्रामा अब घर चल और हां गाड़ी मैं चलाऊंगा”।

अभी निकिता गाड़ी में बैठी ही थी कि…

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कहानी : अगले जन्म मोहे... अभी कुछ कदम बढ़ी ही थी कि नीलिमा ने उसे रोककर कहा,” बेटा, चाहे तुम कुछ भी फ़ैसला लो ये बात हमेशा याद रखना कि तुम इस घर की बेटी हो और हमेशा रहोगी। ये सच हमारे लिए कोई मायने नहीं रखता”। प्रकाश ने भी हामी भरकर पत्नी की बात का समर्थन किया और मान भी आगे बढ़कर उस से कहा... #गीतिका सक्सेना, मेरठ कैंट, उत्तर प्रदेश

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