आपके विचार

आंखों में चमक

सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान

कहते है कि दिल में नेकी हो तो आंखों में चमक होती हैं। यह बात सोलह आना सत्य है। हमें हमेंशा नेकी के मार्ग पर चलते रहना चाहिए। नेकी दिल से होती हैं इसलिए नेकी करने वाला ही जानता है कि नेकी के मार्ग पर चलने से इंसान को कैसा अनुभव होता हैं।‌ कुछ लोग व्यक्ति का चेहरा पढ़ लेते है। इसका अर्थ यह नहीं है कि नेकी करने वाले के चेहरे पर कुछ लिखा हुआ होता है। ऐसा नहीं है। इसका अर्थ है कि नेकी अर्थात भलाई करने वालें की आंखों खुशी की चमक होती है। चेहरे पर मधु मुस्कान होती है जिसे देखकर धार्मिक प्रवृत्ति के लोग समझ जाते हैं कि यह बंधु सेवाभावी है। परोपकारी हैं। दीन-दुखियों की पीड़ा को महसूस कर मदद कर सकता हैं। अतः आप भी सेवा कार्य कर पुण्य का लाभ उठाएं।

आजाद रहिए : हमें भारतीय संविधान में विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है। अतः उठाइए अपनी कलम और प्रेरणादायक, मार्गदर्शन योग्य कहानी, कविताएं, आलेख व व्यंग्य लिखते रहिए। जब श्रेष्ठ विचारों को व्यक्त करने की आजादी मिली हुई है तो फिर क्यों दकियानूसी सोच कर रहे हो। आप विचारों से आजाद रहिए लेकिन संस्कारों से बंधे रहिए। हमारे विचार और संस्कार ही तो हमारी धरोहर है। अतः आदर्श संस्कारों व विचारों को बांटते रहिए। आपका जीवन स्वत: ही मंगलमय हो जायेगा।

जिम्मेदारियां : स्कूली बच्चों को देखकर ऐसा लगता है कि उन पर कितनी किताबों का बोझ लाद दिया है। बच्चें अपना स्कूल का बैग भी खुद पीठ पर नहीं लाद सकता। अगर लाद दिया तो कम आयु में ही उनकी कमर झुक गई है। कंधे पर बैग हमारे भी हुआ करता था लेकिन पढ़ाई के नाम पर इतना दिखावा नहीं था जितना आज की इंग्लिश मीडियम स्कूलें कर रही हैं। कंधे पर बैग हमारे ऊपर बचपन की तरह आज भी है। बस अंतर इतना सा हैं कि पहले उसमें विषय वार किताबें और कापियां हुआ करती थी लेकिन आज जिम्मेदारियां हैं।

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तारीफ : क्या जमाना आया हैं। लोग बात बात में झूठ बोलते हैं। उनके झूठ को देखकर ऐसा लगता है मानों उन्होंने सच न बोलने की कसम खा रखी हैं। मजे की बात तो यह है कि वे इस तरह से झूठ बोलते है कि हर कोई उनकी बात को सोलह आना सच समझ बैठते है। लेकिन हकीकत में देखे तो उनकी बात में लेशमात्र भी सच्चाई नजर नहीं आती हैं।‌ वर्तमान समय को देखकर ऐसा लगता है कि आप जितना आसानी से झूठ बोल देते है उतनी ही अधिक आपकी लोग समाज में तारीफ, प्रशंसा और सराहना करेगे। हां इसका अर्थ यह नहीं है कि सच्चाई झूठ के सामने पराजित हो जाती हैं। आखिर जीत सच्चाई की ही होती है और सत्य सदा सत्य ही रहता है। उसे किसी भी कीमत पर बदला नहीं जा सकता है।

दुःखी इंसान : परमात्मा ने इंसान को सोचने-समझने की शक्ति दी हैं। तर्क वितर्क करने की शक्ति दी है। इसके बावजूद भी वह हर समय दुःखी ही नजर आता हैं। जब देखों तब किसी न किसी बात को लेकर वह दुःखी ही नजर आता हैं। कई बार तो ऐसा लगता है कि दुनियां की सारी चिंता का इसने ही ठेका ले रखा है। इंसान अपना खान-पान, बंगला, वाहन, कपडे, जूते, पडौसी, मित्र, रिश्तेदार, शौक, सभी बदल सकता है लेकिन वह अपना स्वभाव नहीं बदलता है। यहीं वजह है कि वह हर समय दुःखी रहता हैं।‌ जब वह दूसरों को अपना स्वभाव बदलने की समय समय पर सलाह देता हैं तो अपना स्वभाव बदलने से क्यों कतराता हैं। अरे, हंसते मुस्कुराते हुए जीवन व्यतीत कीजिए और हर एक पल का आनंद उठाते हुए आगे बढ़ते रहिए। आपकी मुस्कान ही आपका असली जीवन हैं। अतः दुःखी न रहें। सदैव हंसते-हंसते प्रेम और स्नेह के साथ रहें।

शब्दों का मीठापन : कहते है कि जिस प्रकार मिट्टी का गीलापन पेड़ों की जड़ों को मजबूती से पकड़े हुए रहती है, ठीक उसी प्रकार शब्दों का मीठापन रिश्तों की डोर को मजबूती से पकड़े रहता हैं। इसलिए जब भी किसी से बातचीत करें तब प्रेम और स्नेह के साथ बातचीत करें। बातचीत के दौरान चेहरे पर क्रोध व जबरदस्ती का भाव दिखाई नहीं देना चाहिए। कड़वे बोल रिश्ते में दूरियां लातें है वहीं दूसरी ओर मीठे बोल संबंधों को मजबूत और प्रगाढ़ बनाते है। हमारा आत्मविश्वास और हमारा आदर्श व्यवहार ही तो हमारी असली पहचान है। वरना इस मतलबी दुनियां में किसे फुर्सत हैं जो हमें इतना प्यार व स्नेह दें।


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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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