शिवाला भी सजने लगा है…

सिद्धार्थ गोरखपुरी

शिव का रंग चढ़ने लगा है
शिवाला भी सजने लगा है
भोले बाबा का गाना
मंदिर पे बजने लगा है
सावन में गौर से देखो
सूरत -ए -शिवाला क्या होगा
संग में माँ गौरा के
बैठा डमरू वाला होगा

हम क्या जाने दुनियाँ को
दुनियाँ क्या जाने हमको
भोले बाबा ही जाने
दुनियाँ के हर एक गम को
गम हरने वाले बाबा के
गले में भुजंग माला होगा
संग में माँ गौरा के
बैठा डमरू वाला होगा

दुनियाँ में विष है समाया
विष समाया है दुनियाँ में
कौन हरे विष बान शब्द के
सब तो पराया है दुनियाँ में
कोई भोले से पूछ ले जाके
विष का प्याला क्या होगा
संग में माँ गौरा के
बैठा डमरू वाला होगा

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