साहित्य लहर
सरस्वती वंदना
मो. मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
स्तुति मां वागीश्वरी
स्तुति मां सरस्वती
ज्ञान की देवी तू
जहान की देवी तू
वंदन करूं तेरी, हे शारदे!
जीवन मेरा तू संवार दे।
महिमा तेरी कण कण है जानता,
हृदय से मां तुझे मैं मानता
कृपा करो हंसवाहिनी
दिखाओ दया ज्ञानदायिनी
ज्ञान बिन सब अधूरा
बिना इसके न जीवन पूरा
भर दे मुझमें ज्ञान की ज्योति
बना दें मुझे भी वाल्मीकि
हर ले अज्ञानता, देकर ज्ञान-
आशीष पा तेरी, दुनिया के आऊं काम ,
ऋण चुकाऊं तेरी,जग में हो मेरा नाम।
दीजिए आशीष,
चरणों में रहे सदा यह शीष।
हे हंसवाहिनी , मां वागीश्वरी
ज्ञान और विज्ञान देवी
स्तुति करे मंजूर तेरी!
अब ताड़ दे,
तिमिर सा है जीवन, इसे संवार दे।
वीणापाणि क्षमा करें सबकी नादानी,
हम भारतीयों को बना दें ज्ञानी।
हे शारदे, हे भारती ….
सदा उतारें हम-सब तेरी आरती।
जय मां सरस्वती जय मां सरस्वती।
¤ प्रकाशन परिचय ¤
From »मो. मंजूर आलम ‘नवाब मंजूरलेखक एवं कविAddress »सलेमपुर, छपरा (बिहार)Publisher »देवभूमि समाचार, देहरादून (उत्तराखण्ड) |
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