साहित्य चिंतन : हिंदी आलोचना में नामवर सिंह का योगदान
राजीव कुमार झा
साहित्य की विविध विधाओं में आलोचना का भी महत्वपूर्ण स्थान है और नामवर सिंह आलोचक के रूप में प्रसिद्ध हैं ! उन्होंने हजारी प्रसाद द्विवेदी के बाद आलोचना लेखन के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया ! हिन्दी में आलोचना लेखन के सूत्र पात का श्रेय आचार्य रामचन्द्र शुक्ल को प्राप्त है ! नामवर सिंह के पहले नंद दुलारे वाजपेयी को प्रमुख आलोचक माना जाता था !
नामवर सिंह ने हिंदी में कविता – कहानी के विकास और उनकी रचनात्मकता के बारे में छायावाद नामक चर्चित किताब लिखी! इसमें स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान हिन्दी कविता की साहित्यिक प्रवृतियों का विवेचन है ! उन्होंने कहानी : नयी पुरानी नामक एक अन्य किताब भी लिखी ! नामवर सिंह ने अपनी लिखी इन दो किताबों से समकालीन हिंदी लेखन की प्रवृत्तियों के बारे में रोचक विमर्श को शुरू किया और उनकी लिखी कई अन्य पुस्तकों से भी हमें हिंदी साहित्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है ! उन्होंने आदिकाल में अपभ्रंश भाषा के बारे में भी एक शोधग्रंथ को लिखकर सबका ध्यान आकृष्ट किया !
नामवर सिंह की शिक्षा दीक्षा बनारस के हिंदू विश्वविद्यालय में हुई और यहां आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी से उन्हें साहित्य चिंतन – विवेचन का संस्कार प्राप्त हुआ और कालांतर में यह उनके व्यक्तित्व का सबसे प्रमुख पक्ष बन गया ! हिंदी में उन्हें आलोचक के रूप में देखा जाने लगा और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली में वह प्राध्यापक बनने के बाद वह पूर्णतया साहित्य चिंतन के प्रति समर्पित हो गये और अपनी वाग्मिता से उन्होंने हिंदी की सभा संगोष्ठियों में भी खूब धाक जमाई और पुरस्कार पुस्तक विमोचन समारोह के अलावा वैचारिक विमर्शों में भी उन्हें अक्सर शिरकत करते देखा जाता था !
नामवर सिंह को इसी तरह के कार्यक्रमों में मैंने कई बार दिल्ली में देखा – सुना था और जामिया मिल्लिया इस्लामिया में मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई के दौरान अपने दस मिनट के स्टूडियो बेस्ड प्रोग्राम में मैं गोरख पांडेय के साहित्य पर केन्द्रित उनका इंटरव्यू भी करना चाहता था लेकिन निर्धारित तिथि को वह भोपाल के भारत भवन में किसी कार्यक्रम में व्यस्त थे !
बाद में मैनेजर पांडेय और पंकज सिंह को मैंने आमंत्रित किया ! नामवर सिंह ने साहित्य चर्चा को टेलीविजन पर भी लोकप्रिय बनाया और दूरदर्शन के अलावा निजी चैनलों पर भी उनके साक्षात्कार के कार्यक्रम दर्शकों के द्वारा खूब देखे – सुने जाते थे ! वह वामपंथी विचारों के चिंतक माने जाते थे और उन पर अपनी इस विचारधारा के पक्षपोषण का आरोप भी लगाया जाता था लेकिन उन्होंने इस पर कभी कोई खास ध्यान नहीं दिया और लेखन में संलग्न रहे !
उन्होंने आलोचना नामक पत्रिका का भी संपादन किया और लेखकों को समाज – संस्कृति से जुड़े उनके सरोकारों में सदैव प्रगतिशील विचारों को लेकर आगे आने का आह्वान किया ! हिंदी में प्रेमचंद को प्रगतिशील लेखन का सूत्रधार माना जाता है और नागार्जुन,
केदारनाथ अग्रवाल के अलावा त्रिलोचन इन्हें हिंदी का प्रमुख प्रगतिशील कवि कहा जाता है ! नामवर सिंह हिंदी के तमाम प्रमुख लेखकों के बारे में संगोष्ठियों में अधिकार से बोलते थे और साहित्य को समग्रता में अच्छी तरह समझते थे!
सदैव सफेद धोती कुर्ता पहनने वाले ये नामवर सिंह के देहांत के बारे में मुझे पटना के पास खुशरूपुर में चाय की एक दुकान पर अखबार पढ़ते पता चला ! उन दिनों किसी प्राइवेट स्कूल की नौकरी के सिलसिले में मैं लखीसराय के पास स्थित बड़हिया के इंदुपुर से काफी सवेरे चलकर यहां आया करता था और देर शाम गये घर लौटता था ! नियमित रूप से अखबार भी नहीं पढ़ पाता था !
उनकी एक अन्य प्रमुख पुस्तक में ‘ दूसरी परंपरा की खोज ‘ का नाम भी शामिल है ! ‘ वाद विवाद और संवाद ‘ उनके लेखों का संग्रह है ! नामवर सिंह ने समकालीन हिंदी साहित्य की वैचारिक प्रवृत्तियों को अपने लेखन में खास तौर पर उजागर किया है! रामविलास शर्मा भी इसी कालखंड में आलोचक के रूप में सक्रिय रहे ! उन्हें प्रगतिशील चिंतक कहा जाता है और साहित्य को उन्होंने समग्रता में देखने की चेष्टा की ! दूरदर्शन और अन्य चैनलों पर उनके साप्ताहिक इंटरव्यू के कार्यक्रम भी खूब लोकप्रिय हुए !
सदैव धोती कुर्ता में और चेहरे पर मुस्कान लिए नामवर सिंह को अपना शहर बनारस प्रिय था ! इनके छोटे भाई काशीनाथ सिंह आज भी यहां रहते हैं ! अपना मोर्चा उनका लिखा सुंदर उपन्यास है ! इसमें सरकार की तानाशाही के खिलाफ देश के छात्रों के आंदोलन और संघर्ष का चित्रण है ! नामवर सिंह को सरकार ने राजाराम मोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन का अध्यक्ष भी बनाया और सहारा समूह ने भी अपनी मीडिया कंपनी का प्रधान संपादक बनाकर उन्हें सम्मान दिया !
राजीव कुमार झा
एम .ए . ( हिंदी भाषा एवं साहित्य ) नालंदा खुला विश्वविद्यालय, पटना (बिहार)
ह्वाट्सएप नंबर : 6206756085, 6207233401
इंदुपुर, पोस्ट – बड़हिया, जिला – लखीसराय, बिहार, पिन 811302