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धर्म-संस्कृति

रंगोली में भारतीय संस्कृति की झलक : माथुर

रंगोली में भारतीय संस्कृति की झलक : माथुर… अंशुल माथुर व डाक्टर आरूषि माथुर ने बताया कि दीपावली पर महिलाओं द्वारा रंग बिरंगी चाक से या रंगों से घर के मुख्य चौक व आंगन में तो कहीं कहीं खुले में रंगोली बनाई जाती हैं जो न केवल एक शगुन हैं अपितु भारतीय संस्कृति की एक अलग ही पहचान है… #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान

दीपावली का त्योहार दीपों का त्योहार है दीपावली अपार खुशियां लेकर आती हैं।‌ जहां मिट्टी के दियों के बिना दीपावली सुनी सुनी लगती हैं, वही दूसरी ओर रंगोली के बिना भी दीपावली सुनी सुनी लगती है । रंगोली का अपना एक अलग ही आनंद है। रंगों की रंग-बिरंगी रोशनी के साथ रंगोली का भी अपना महत्व हैं।

अंशुल माथुर व डाक्टर आरूषि माथुर ने बताया कि दीपावली पर महिलाओं द्वारा रंग बिरंगी चाक से या रंगों से घर के मुख्य चौक व आंगन में तो कहीं कहीं खुले में रंगोली बनाई जाती हैं जो न केवल एक शगुन हैं अपितु भारतीय संस्कृति की एक अलग ही पहचान है जो नारी के हाथों की कला के साथ ही साथ सुख समृद्धि का भी प्रतीक हैं। उन्होंने बताया कि वैसे भी आज के समय में जब परिवार में कोई उत्सव या आयोजन होता है तब भी रंगोली बनाई जाने लगी हैं जो हिन्दू संस्कृति के लिए एक शुभ संकेत है।

उन्होंने बताया कि आज के समय में बाजार में प्लास्टिक व कागज पर बनी बनाई रंगोली के प्रिंट भी मिलते हैं जिन्हें दीपावली के अवसर पर खरीद कर लोग चिपका देते हैं, लेकिन जो आनंद अपने हाथों से बनाने में आता हैं, वैसा आनंद बाजार की रंगोली में नहीं होता हैं चूंकि अपने हाथों से बनाने वाली रंगोली में हमारी संस्कृति की झलक देखने को मिलती हैं, वहीं नारी की कला की सुन्दर अभिव्यक्ति भी होती हैं।

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