कविता : मोबाइल

कविता : मोबाइल… इसके हाथ में आते ही, बच्चे से लेकर बूढ़े तक ऐसे खो जाते हैं, फिर ना किसी की सुनते हैं ना देखते हैं, न बोलते हैं। अपनी एक अलग ही दुनिया मैं खोए रहते हैं। मार्टिन कूपर ने… ✍️ राही शर्मा
इस मोबाइल ने बहुतों का
दिमाग बिगाड़ रखा है।
कई बार लोग बिना वजह की
बातें करते रहते हैं,।
बातों में कोई वजन नहीं होता,
फिर भी दिखावा करते हैं।
जैसे कोई कंपनी डील
कर रहे हैं।
यह मार्टिन कूपर ने
मोबाइल क्या बनाया।
लोग इस तरह बिजी हो गए हैं,
जिनके पास कोई काम नहीं है
वह भी कहते हैं ,
अभी बिजी हूं,।
बाद में बात करते हैं।
इन्होंने तो गांधी जी के
तीन बंदरों को जोड़कर
एक मोबाइल बना दिया।
इसके हाथ में आते ही,
बच्चे से लेकर बूढ़े तक
ऐसे खो जाते हैं,
फिर ना किसी की सुनते हैं
ना देखते हैं, न बोलते हैं।
अपनी एक अलग ही दुनिया
मैं खोए रहते हैं।
मार्टिन कूपर ने
चीज तो अच्छा बनाया है।
इससे फायदा भी है ,
नुकसान भी है।
अब रिश्तेदार घर में
कम आते हैं।
मोबाइल में ही हाल-चाल
पूछ लेते हैं।
मोबाइल से ही एक दूसरे
को देख लेते है।
जितना प्यार है, मोबाइल से
भेज देते हैं,।
अब मेहनत कम हो गई है,
जादूगर मोबाइल जो
हाथ में आ गई है।
सारा काम मोबाइल करते हैं,
बैठे-बैठे बस ऑर्डर करते हैं।
दूध राशन सब्जी फल फूल
यह काम बहुतों के घर
मोबाइल करते हैं।
मशीनी दौर है साहब,
अब तो लोग महबूब से ज्यादा
मोबाइल से प्यार करते हैं।
आज के दौर के कई यंग
लड़के लड़कियां।
प्यार को कचरा
बना कर रखे हैं।
मोबाइल से प्यार का
इजहार करते हैं।
बड़ी-बड़ी बातें करते हैं
वादे करते हैं।
पल पल में लड़ते रहते हैं
जरा सा कोई शूल चुभा नही
सेकंडो में रिश्ता, खत्म
करते रहते हैं।
मोबाइल के फायदे भी है
नुकसान भी है।
धूप छांव की तरह है
हमारी जिंदगी का बहुत बड़ा
हिस्सा बन चुका है।
सच है मार्टिन कूपर ने
बहुत बड़ा आविष्कार किया है,
बनाकर इस मोबाइल को
हम सब पर उपकार किया है।
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